ये जन्म भी हवा हुआ...!
मिट्टी सानी जल ने, और वायु ने देह स्पंदन दिया!
उष्मा देकर सूर्य ने, ज़र्रे को संयमित गगन किया!!
पृथ्वी कहती, मुझ से ले लो सहन शक्ति की सीख!
जल तत्व ने शीतलता दे, दग्ध-हृदय मगन किया!!
कहता है अग्नि तत्व, विचारों को जरा प्रखर रखो!
वायु तत्व ने मस्तिष्क-स्मरण-शक्ति को जन्म दिया!!
कहता है आकाश तत्व, संतुलन देह-दृष्टि बना रहे!
देव हृदय बसे,फिर अहं त्याग क्यों न सनम किया!!
है औक़ात छटांक तेरी जोगी,मनभर का गुमान क्यों!
मिट्टी ने मिट्टी हो जाना,देख फिर हवा ये जनम हुआ!!
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