QUOTES ON #शून्य

#शून्य quotes

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22 MAY 2019 AT 8:38

जीवन का लक्ष्य "शून्य" होना है, और
हम "अंकों" के पीछे भाग रहे हैं।

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29 JUL 2018 AT 9:10

बचपन से अभी तक अगर कुछ नहीं बदला तो ये है की,
हम तब भी शून्य के पीछे दौड़ते थे और भी आज भी।

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9 DEC 2019 AT 21:52


रिश्तों को छूने से
अब हाथ कांपते हैं,
सब दूध से धुले हैं
पऱ सब सांप से हैं..!

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9 JAN 2020 AT 20:47

"इक समुंदर है औऱ हम इक लहर से हैं यहाँ
ज्यादा देर तक बुलबुले ठहरते हैं कहाँ,

सोचता हूँ फ़र्क क्या है कश्ती औऱ मांझी में
बस पत्थर डूबते हैं औऱ पत्ते तैरते हैं यहां,

बा ख़ुदा यह ज़िन्दगी है, सब ख़ैर से हैं यहाँ
सभी आपनें हैं, पऱ अफ़सोस..सभी ग़ैर से हैं यहां"

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28 MAR 2020 AT 20:26

जड़ को जब मिट्टी की पकड़ मिलेगी
फिऱ पौधे सफऱ पर चलेंगे,

फिऱ से निकलेंगे पत्ते शाखाओं पे
फिऱ से फ़ूल खिलेंगे,

अभी रहने दो बंद ही ख़्वाइशों के दरीचे
यह मासूम बच्चे हैं गोदी में औऱ पलेंगे,

थक गई है जिंदगी.., इसे ज़रा थमने दो यारो
मंजिल रही तो औऱ भी कई रास्ते मिलेंगे..!


" Zindgi...0 KM. enjoy urself"

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10 JUN 2022 AT 9:09

शिव ही शून्य है
शिव ही अनंत है,
निराले हम शिव भक्त
जीवन पर्यंत है।
शिव आस्था है,
है शिव ही समीक्षा,
कृपा बरसने की
बस अब है प्रतीक्षा।।

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24 APR 2022 AT 21:42

शहर को पाने गाँव निकले
जाने किस ज़ुस्तज़ु में पाँव निकले,

रिश्तों के शज़र सभी कट गए
अब कहाँ से धूप में छाँव निकले,

मुहब्बत शब-भर का आसमाँ
देखते ही देखते दूर.. चाँद निकले,

जाने हूँ मैं कौन सी दुविधा में
ना जी सकूँ ना जान निकले,

ज़िन्दगी को जीतने की आरजू में
उफ़्फ़.. मेरे सारे उल्टे दाँव निकले!!

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26 MAY 2022 AT 13:27






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4 MAY 2019 AT 20:49

जीवन "शून्य" के सफ़र की दौड़,
बस एक "शून्य" से एक "शून्य" की औऱ...!

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1 MAR 2022 AT 4:22

शिव कैसा है...?
जिसे नशा हो सती के प्यार का, तो उसे गांजे से नशे की चाहत क्यूं
जिसे आनंद मिले समाधि से, उसे भांग से आनंद की तलाश क्यूं
जो ख़ुद कालों का काल महाकाल है, उसे त्रिशूल की जरूरत क्यूं
जो देवों का भी देव महादेव है, उसकी इंसानों जैसी मूरत क्यूं

आखिर शिव है कौन....?
कहते हैं, अघोरी है वो, रातों में भूतों संग नाचता है जो
हां लेकिन बड़ा ध्यानी है वो, हर वक़्त समाधि में रहता है जो
इस जीवन मरण से भी परे है वो, खुद समाधि में "शून्यता" है जो
शिव अगर प्रचण्ड है तो शून्य नहीं है वो, व्यर्थ है यहां पर ये प्रचण्डता है जो
शिव अगर शून्य है तो शांत है वो, समाधि से मिली है ये शांतता है जो

शिव... भांग, मदिरा, गांजे इन सब से परे सा लगता है
त्रिशूलधारी, वो प्रचण्ड स्वभाव वाला, प्रेम का पुजारी सा दिखता है

शिव... पंक्ति की वो बिंदु है जो पूर्णतः को दर्शाता है
या मैं कहूं की शिव वो शून्य है जो अनस्तित्व(nothingness) को बतलाता है

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