जब तुम भी थे और मैं थी,
रंजिशें भी थी और तन्हाई भी,
कुछ रुसवे और रुसवाईयाँ भी,
मेरे शिक़वे थे और तेरे बहाने भी,
दुरी भी थीऔर नम आँखे भी,
हम थे भी एक दूसरे से इतने अलग
कि तेरे सोच और मेरे ख़यालात भी नही मिलते थे,
पर फिर भी..कुछ तो था हमदोनों में
मैं तुम्हें बिना कहे पढ़ लेती थी
और तुम बिना कहे मुझे सुन लेते थे,
मैं लाख जतन करती थी तुझसे दुरी को,
तुम बार बार आकर कह जाते थे,
मैं तुमको तुमसे ज्यादा पहचानता हूँ,
तुम कभी मुझे नही भूलोगी।
तुम कभी मुझे नही छोड़ोगी।क्योंकि...
तुम तो तुम हो और तुम ऐसी ही हो।
भला!! मैंने ही ये नहीं जाना कि,
एक दिन तुम्हीं मुझे भूलोगे!
एक दिन तुम्ही मुझे छोड़ोगे!!क्योकि ....
तुम तो तुम थे और तुम ऐसे ही थे।☺
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