शिनाख़्त
सवाल ये है कि सड़क पर पडी,
लावारिस लाश की शिनाख़्त कैसे की जाए।
है किस शहर का ये बाशिन्दा , कैसे?
उसकी पहचान ढूंढ निकाली जाए?
कौन से , कागज़ खंगाले जाएं?
कैसे, इसके अपने ढूंढ निकाले जाएं?
सवाल पहचान का है ना,
अब उसे नई पहचान दे दी जाएगी,
एक प्राथमिकी दर्ज की जाएगी,
फलां- फलां नंबर का केस है,
और एक फ़ाइल बना दी जाएगी।
कहीं कोई लूटने के बहाने तो नहीं मार गया,
इस पहलू की भी तफ़्तीश की जाएगी ।
रंग , कद, वजन की
जानकारी लिख ली जाएगी,
सभी थानों में भेज दी जाएगी।
हां पोस्टमार्टम भी कराया जाएगा,
अखबारों में भी ख़बर दे दी जायेगी।
और अंत में,
फाइल बंद कर दी जाएगी।
अब चाहे उसे दफ़नाया जाए,
किसी शमशान में जलाया जाए,
या किसी मोर्चरी में रख दिया जाए,
या किसी मेडिकल कॉलेज को दे दिया जाए।
उसके दम तोड़ने के साथ,
उसकी पहचान भी दम तोड़ गयी।
क्योंकि लाश तो लावारिस थी ना..?
उसका कोई अपना नहीं था।
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