बुलाता है हमको, चलो रास्ता,
हम लिखेंगे मोहब्बत की एक दास्तां,
देश की आन में एक हो जाएं अब,
दिल से दिल तक जुड़ा आपसे वास्ता!
ज़ुल्म दहशत की कोई कहानी न हो,
एक हों हम सभी बदगुमानी न हो,
हिन्द का नूर दुनिया में कायम रहे,
जगमगाती रहे मुल्क की कहकशां.!
हम लिखेंगे...
कोई मज़हब की दिल में न दीवार हो,
नाज़ अपने वतन पे हमें यार हो,
ये शहीदों की मिट्टी है सजदा करो,
बाग दिलकश बने हम बनें बागवां.!
हम लिखेंगे...
सिद्धार्थ मिश्र
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