सरहद पर देश की रक्षा करते करते
कुछ और वीर भगवान को प्यारे हो गए
शहीद होकर वतन कि खातिर
आसमान के चमकते सितारे हो गए
थी हाथ में बंदूक, कमर पर बंधी थी गोलियां
पर हुकूमत के कुछ फैसलों से बेचारे हो गए
अगली छुट्टियों में मिलूंगा कहकर गया था जो
आया है तिरंगे में लिपट, कि सब दुखियारे हो गए
ना जाने कितने ख्वाब टूटे हैं उनके जाने से
माएँ बेसुध, बच्चे अनाथ और घर बेसहारे हो गए
रगों में खौलता है लहू का इक इक कतरा जैसे
बदन की तपिश ऐसी कि सब अंगारे हो गए
पूछता है सवाल आज हुक्मरानों से "निहार"
लेंगे बदला बलिदानों का अब, या तुम भी हत्यारे हो गए
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