इश्क़ शर्मा प्यार से 6 JUL 2017 AT 19:54 चाँद से मुखड़े का दीवाना मैं, शहर वाले मुझको काफ़िर समझ बैठे।।साँझ की बेला में थपकी क्या लगाई, ज़नाब.. हुसैन जाकिर समझ बैठे।। - Pradyumna Chaturvedi 30 MAY 2018 AT 18:07 मेरा गाँवशादी में हज़ारों, शव-यात्रा में चंद लोग ही शामिल होते हैं इस शहर में।एक आह पर सैंकड़ों दौड़े आते हैं जहाँ,मेरे गाँव में, किसी भी पहर में। -