QUOTES ON #शहंशाह

#शहंशाह quotes

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15 MAY 2020 AT 8:14

"हम तो बस ऐसे ही है "
😊😊😊
कोई हमे याद करे इतने मशहूर नही
दिल के शहंशाह हैं पर इतने मगरूर नही |

हर किसी से बेतकल्लुफ हुआ नही जाता हमसे
हर किसी से खुल के मिले ये हमे मंजूर नही |

दुनिया में आए हैं तो निभाएगें सबसे
झूक जाए किसी के आगे हमे मंजूर नही |

हमदर्द बनकर आस्तीन में छिपा लेते हैं खंजर
ऐसे हमनवा -खार से हम भले दूर सही |

भूल जाएगें हर एक चोट दिल की हम तो मुस्कराके
पर भूल जाए बेवफाई हमारा ये दस्तूर नही |

कुछ अपनों के कुछ गैरों के दिए जख्म छिपे हैं दिल में
पर टूट कर बिखर जाए इतने मजबूर नही |
....निशि 🍁🍁

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23 AUG 2018 AT 23:48

मुझे क्या पता था
चंद मुलाकातों में तुम मेरी ज़िंदगी बन जाओगी
पर अपनी ज़िंदगी का हिस्सा मुझे न बनाओगी
जिस सल्तनत की तुम मलिका मैं शहंशाह था
उस मिल्कियत को तुम किसी और को सौंपोगी

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10 JUN 2019 AT 18:05

शहंशाह वो नहीं है , जो अंधेरी रातों में
'सुनसान राहो पर निकलता है..🤗

शहंशाह तो वो है

जो आजकल भरी दोपहर में निकलता है ..😜
😂😂😂😂😂😝😝😝😝😝😝😝

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19 JUN 2020 AT 12:34

लोगों को अंधकार से निकालते निकालते,
हम स्वयं अंधकार में खो गए,,
फिर भी हम है प्रसन्न,
क्योंकि हम दिलवालों के शहंशाह जो हो गए।।

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15 OCT 2020 AT 15:44

हर बार समझा लेता है मुझको तेरे हजार बार मना करने पे भी पता नही समझता क्या है खुद को शाहंशाह कही का।

हर पल मांगता है तुमको मुझसे साला ज़िद्दी दिल कही का..............।।।

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6 JAN 2021 AT 17:13

मेरी मुमताज़ जिसके कान सूने हैं , मगर खुश है ,,
मैं उसका शाहजहां , मज़दूरी पर जेवर बनाता हूं...

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6 MAY 2020 AT 7:41

अवन,कहों उससे वो करे मोहब्बत किसी से भी बेधड़क,
वो मेरा कोई कैदी नहीं और मैं कोई शहँशाह नहीं!!

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2 SEP 2020 AT 13:44

बहुत तकलीफ दे जाते हैं वो चंद दिलकश खूबसूरत लम्हे
वक़्त के एक मोड़ पर,
हाथों की एक लकीर ने कैसे कैसे रंग दिखाए कि
ये किस्मत भी है पशेमान,
कुछ तो शहंशाह-ऐ-रब का फ़रमान और उस पर वक़्त की मीठी धार,
तो क्या कहिए,
अरविंद शहंशाह-ऐ-रब से ही पूछता है बता इस वक़्त को पीछे ले
जाने की दुआ क्या है I

-✍️Arvind AKV

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3 MAR 2020 AT 13:54

तुम मुझसे इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते, कोई बात नहीं।
मैं कौनसा शहंशाह हुँ।

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7 APR 2017 AT 7:00

कैसी तस्वीर हो गयी है इस शहर की
हो गया है सबका जीना मुहाल।
ख़ौफ़ज़दा है हरेक चेहरा यहाँ
हर नज़र में दिखता है एक सवाल।
नहीं करता कोई भरोसा किसी पर
हर आदमी हुआ है यहाँ बेहाल।
हर रोज़ एक सानिहा गुज़रता है
नहीं होता मगर किसी को कोई मलाल।
है सराब यहाँ हर किसी की आँख में
हर दाँव में छुपी होती है कोई चाल।
हर कोई तीर चला रहा दूसरों के काँधे से,
बनाकर किसी और को अपनी ढाल।
लुटेरे ही बन बैठे हैं शहंशाह यहाँ
हो रहा है देखो कैसा ये कमाल।

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