QUOTES ON #शरारत

#शरारत quotes

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20 JUN 2020 AT 9:24

समझ नहीं आ रहा है कि
ये हवाओँ की है नज़ाकत
या बादलोँ ने की है कोई शरारत
क्योंकि सूरज तो आज
ठंडक का एह्सास दिये जा रहा है

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12 NOV 2019 AT 19:48

देख रहे हो चाँद को कैसे इतरा रहा है...
चिढा रहा है मुझे, शरारती है तुम सा ही।
रोज चला आता है मेरा दर्द बाटने...

पता है ........... मेरे छोटे से मन
की एक छोटी सी ख्वाहिश है।

मेरे अमावस से जीवन में एक दिन तुम चाँदनी वाली रातें लेकर आना..उस दिन हम दोनों मिलकर के चिढाएंगे चाँद को..
उसे भी तो पता चले के दर्द बाटा नही जा सकता उसे अकेले ही सहना पडता है...

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4 AUG 2021 AT 16:43

शरारत, शिकायत, मोहब्बत हमारी
जिसे देखो उसको ज़रूरत हमारी

इबादत समझते हैं सब ही यहाँ पर
न समझे कोई भी मुरव्वत हमारी

किताबों की दुनिया ही अच्छी रहेगी
अदालत हमारी नसीहत हमारी

ये ज़ुल्फ़ें ये चेहरा ये गोरा बदन भी
है नज़दीक अब तो क़यामत हमारी

जो आँखों को तुमने ज़रा सा उठाया
करे कौन तुम से हिफ़ाज़त हमारी

ख़बर है कि 'आरिफ़' से उल्फ़त है तुमको
चलो जाओ उसको इजाज़त हमारी

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12 JAN 2019 AT 6:25

बचाना है
थोड़ा सा बचपन,
थोड़ा बिंदासपन,
थोड़ी नज़ाकत,
थोड़ी शरारत!
हर रिश्ते में
कुछ खुद को,
और खुद में,
कुछ दूजे को,
एक सच्ची दोस्ती,
रिश्तों में कुछ संज़ीदगी,
जीने में थोड़ी ज़िन्दगी,
बचाने की ज़रूरत है।

अंजलि राज

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29 JUN 2020 AT 19:42

उसकी पलकों पर सजी काली घटाएं जैसे
बादल बनकर मुझ पर बरसने लगी,
तभी उसने मुस्कराकर
अपनी जज़्बातों को दिल में दबाना चाहा,

मगर मेरा दिल इतना भी नादान नहीं कि
उसकी जज़्बातों का एहसास न हो,

उसकी खामोशी हो या मुस्कराहट
या फिर निगाहों की शरारत,

मेरा दिल रखता है ख़याल,
उस दिल से निकली हर धड़कन की आहट...

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8 MAR 2020 AT 0:22

हुस्न हर बार शरारत में पहल करता है
बात बढती है तोह इश्क के सर आती है

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14 MAY 2021 AT 19:33

यूँ तो ..
तेरी हर शरारत में छिपे कई ज़ज़्बात है
उफ्फ़ ..
पर तेरी निगाहों की कुछ अलग ही बात है

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8 DEC 2020 AT 2:51

क्या दिन थे वो और क्या रातें थी। जब हम सब संग घूमा करते थे।
शरारतों की वो सब बातें थीं। मानो आसमां को चूमा करते थे।
ना कुदरत का कोई ज़ोर था चलता। कोई मौसम सर्द गरम ना था।
क्या आज़ादी के दिन थे वो। जब किसी बात का ग़म ना था।

ना फिकर थी कल की कोई हमको, ना संशय था अनहोनी का।
कभी अंडर टेकर की बातें थीं,तो कभी किस्सा था सचिन या धोनी का
दिन भर की धमाचौकड़ी थी, हम सा कोई हमदम ना था। क्या आजादी.......

एक था गोलू मास्टरमाइंड, हर मिशन प्लान वो करता था।
आम तोड़ना, पतंग लूटना, वो तो लड़ने से भी नहीं डरता था।
कोई भी भिड़ जाए उससे, किसी मे इतना दम ना था। क्या आजादी.......

एक दीदी भी थी, ट्रबल शूटर, हर परेशानी को हल करती थी।
मानो मेरी तो वो बिल्कुल, हमारी टीचर सी नकल करती थी।
सबको भला बुरा बतलाती थी पर, हिस्सा शरारतों में हमसे कम ना था। क्या आजादी.......

नन्हे पैरो से संग दौड़ता। एक छुटकू भी साथ में रहता था।
मटमेले से कपड़ों में रहता वो। बस नाक पोंछता रहता था।
पर देखो दिलेरी में कहीं भी। किसी शावक से वो कोई कम न था। क्या आजादी.......

वो तो टोली मस्ती वाली थी, कभी ईद तो कभी दिवाली थी
कभी टीचर से साथ हम पिटते थे। पर एक दूजे पर हम मर मिटते थे।
कितने बेफिक्र और उन्मुक्त थे हम, जहां कोई जाती धरम ना था। क्या आजादी......

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23 DEC 2020 AT 21:02

"यार तेरे साथ शरारत करने का
मन अभी भी करता है मेरा यह बचपना है
या इश्क है अधूरा"।

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24 NOV 2019 AT 22:55

छोटी बहन है तेरी
मुझे ये तंग करती क्यों है
मुझसे अटके
कभी पल्लू झटके
मुझपे ये मरती क्यों है???
जगाती है मुझे संग में
और साथ ठिठोली करती क्यों है
प्यार से गले ही तो लगाना चाहता हूँ
सूरज को आता देख
भाग जाती है
मुझसे ये इतना डरती क्यों है???

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