दिल में ज़ज्बात का सैलाब समेटे बड़ी खामोशी से वो मेरी राहों से गुजरा करते हैं,
सामने कुछ भी कहते नहीं मगर तन्हाईयों में हजारों दफा प्यार जताया करते हैं,
तकते हैं हमारी तरफ मगर नज़र मिलते ही शरम -ओ-हया से नज़रें झुका लिया करते हैं,
डरते हैं शायद रूसवाई से लेकिन निगाहों से कहानी अपनी बयां किया करते हैं,
तरसती हैं निगाहें उनके दीदार को बेकरारी हमारे दिल की बढ़ा दिया करते हैं,
वो शम्मा जैसे हैं अपने परवाने को एक नजर भर से ही झुलसा दिया करते हैं,
तड़पते हैं वो भी हमारी यादों में, रातें अक्सर करवट बदलते हुए बिताया करते हैं,
यूं बेसबब नहीं हिचकियां हमारी वो चोरी चोरी नाम हमारा लिया करते हैं,
ग़म हमें छू भी नहीं पाता वो दुआओं से हमारे हिस्से के ग़म भी चुरा लिया करते हैं...
कहते भले नहीं पर वो चोरी-चोरी चुपके-चुपके इश्क बेइंतिहा हमसे किया करते हैं ,,
-दीपशिखा
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