ये लकीरो का खेल तब तक है जनाब ,,,,, जब तक शरीर मे जान है,,,,, मरने के बाद तो जाना सबको शमशान है,,,,,, वहाँ जल जाती है सब नसीबो की लकीर,,,,, वहाँ क्या अमीर क्या फकीर।
सब लोग खामोश थे, माहौल गमगीन था, किसी की नजर घड़ी पे थी, कोई मोबाइल से खेल रहा था, कोई कोने में, रूमाल से नाक को ढकता हुआ, इंतजार में, जाने के, शमशान से.. सब ख़ामोश थे फिर भी, बस हड्डियां और लकड़ियां, #ध्वनि कर रही थीं, मानो कह रही हो, याद रखना, एक दिन लौट के आओगे, किसी को कंधे में लेकर या किसी के कंधे पर ।।