अब तेरे दीदार का मेरी नज़रों से कोई वास्ता नही रखना..
मुझे पलकों को अब और भीगने का मौका नही देना,
अब तेरे ज़िक्र का मेरे लबों से कोई रिश्ता नही रखना..
मुझे उदासी को अब और आवाज नही देना,
अब बाँहों को तुम्हें ढूंढने की कोई वज़ह नही देनी..
मैं कब कहाँ सो जाऊँ ख़ुद को ख़बर तक होने नही देनी !!
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