कैसी ये घड़िया आयी है, जब समुन्दर से बारिश मिलने को आई है। पता नही ये मिलन की अगङांयी है, या बादल से अलगाव की जुदाई है। हाल-ए-हालात इस बारिश का किसी को समझ न आता। गमगीन है या ये फूली न समाई है, ये मिलन है या जुदाई है।।
सफर शुरु हुआ इन बूदों का मिलन की प्यास में, सफर खत्म हुई इनकी फिर मिलन की अरदास में।
कुछ अजीब है इन बूंदो की बेबसी नम आंखों से करती ये विदाई है, ये मिलन है या जुदाई है।।
Wo pehli baarish thi, Boonde jo tip tip gir rahi thi, Uski dhun pr mai thirak rahi thi, Sirf woh haseen lamhein jee rahi thi, Aur kisiki parvaah nahi thi, Bs mai aur meri tanhaai thi, Pr iss baar sbse jyaada khush mai thi
वो पहली बारिश, थी मौसम की साज़िश, वो जिस्म की तपिश और बाहों की कशिश, दिल मे मची जुम्बिश, न आज भी कोई रंजिश, वो सपनो की नदीश, रब से बस एक ही गुजारिश, वो लोगों की खलिश, जो माना तुझे सतीश, सिर्फ तु ही मेरी ख्वाहिश, तोड़ देंगे सारी बंदिश !!!