QUOTES ON #वो

#वो quotes

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8 OCT 2018 AT 21:59

उनको नींद न आये तो बेचैन हो जाती हूँ मैं,
एक ये ही तो ज़रिया है उनसे मुलाकात का!

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20 SEP 2018 AT 22:01

दिनभर रतियाँ घोली हैं, ख़्वाबों ने चाँद कटोरे में;
साँझ होते ही फिर उड़ेली हैं, आँखों के सकोरे में!

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16 JUN 2021 AT 0:23

उसकी आंखे सवाली लगती थी मुझे ,उसके होंठ मुकम्मल जवाब भी ,

वो गुलजार की गजल सरीखा भी था ,और खुसरो की पहेली का हाल भी !!

❤ ❤ 💔 ❤ ❤

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2 MAY 2021 AT 13:37

वो धीरे धीरे मुझसे प्यार करने लगी है...
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11 MAR 2021 AT 9:25

कैसे कह दुँ मैं.........कि मेरी हर दुआ बेअसर हो गयी,

मैं जब भी चुपके से रोया मेरे भोलेनाथ को ख़बर हो गयी।

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18 MAR 2021 AT 14:20

वो मुझे पसंद करने लगी है
मेरी बातों को,मेरे यादों को
मेरे पागलपन को,मेरे पसंद ना पसंद को
मेरे हर लम्हों को वो क़ैद करना चाहती है
अपने नज़रो में कि
वो मुझे पसंद करने लगी है...

वो मुझे follow करती है
राहों में मेरा घण्टों इन्तज़ार करती है
मेरी एक झलक के लिए
वो ठहर जाती है एक पल के लिए
कहीं मैं उसके आसपास तो नहीं
मेरी मुस्कुराहट को देखकर
उसका चेहरा खिल उठता है
फिर भी
मैं उसे ignor करता हूँ,
मुझे पता है कि
वो मुझे पसंद करने लगी है...

मेरे style को,मेरे तरीकों को
मेरे इशारों को,मेरे नज़रों को
वो मुझे copy करने लगी है
मेरे दोस्तों से कहती है वो
कोई मुझसे उसे चुरा नहीं सकता
मैं उसे पसंद करने लगी हूं..!

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25 JAN 2020 AT 7:16

ज़िन्दगी इक ख़्वाब है
रोज़ देखने को मज़बूर हो जाता हूँ,
बस रात भर की सारी जद्दोज़हद है
सुबह चूर-चूर हो जाता हूँ.. !

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23 JUL 2018 AT 9:02

वो मेरी जान है
ये जानकर भी
जानबूझकर
अंजान बनकर
वो मेरी जान
लिए जा रही है।

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6 JUN 2020 AT 13:34

कहीं तो आज भी होगा ना
उसका नाम लिखा...,

वहीं कहीं.. किसी बस की सीट पऱ
या वो... खोदा हुआ किसी पेड़ पऱ,
...स्कूल के किसी बेंच पऱ या फिऱ
वो... वहीं कहीं किसी...
दो-एक रुपए के नोट पऱ,
किसी पन्ने पर...पत्थर पर..

शायद कहीं तो..., आज भी होगा ना
उसका नाम लिखा...!

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14 NOV 2019 AT 19:36

वक़्त से वक़्त का संग्राम है,
कभी सह तो कभी मात है!

कल आज और कल की ही बात है,
कुछ सुलझे, तो कुछ उलझे से सवाल है!

कभी आनंदित पवन तो कभी आंधियो की प्रचंड बौछार है,
यही तो समय की अचूक तलवार है!

कभी शांत जलाशय तो कभी रौद्र ज्वार-धार है,
कभी मनमोहक नृत्य तो कभी तांडव करते महाकाल है!

कभी नवजात शिशु की खिलखिलाती पुकार
तो कभी मृत्यु की करुण स्वर गुजमान है!

कभी हरे भरे लहलहाते खेत तो,
कभी बंजर जमीन का सन्नाटा विराजमान है!

कभी सूर्य की चमचमाती हुई किरणें
तो कभी अताह तिमिर तले आकाश छायावान है!

कभी दिये में जलती शांत चिराग,
तो कभी धधकती ज्वाला की विनाशक आग है,

कभी रंगीन वादियों में फूलों की राहे,
तो कभी कांटो का आगाज़ है!

कभी खुशी तो कभी गम बेशुमार है,
यही तो रुख बदलती कायनात है!

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