वक़्त से वक़्त का संग्राम है,
कभी सह तो कभी मात है!
कल आज और कल की ही बात है,
कुछ सुलझे, तो कुछ उलझे से सवाल है!
कभी आनंदित पवन तो कभी आंधियो की प्रचंड बौछार है,
यही तो समय की अचूक तलवार है!
कभी शांत जलाशय तो कभी रौद्र ज्वार-धार है,
कभी मनमोहक नृत्य तो कभी तांडव करते महाकाल है!
कभी नवजात शिशु की खिलखिलाती पुकार
तो कभी मृत्यु की करुण स्वर गुजमान है!
कभी हरे भरे लहलहाते खेत तो,
कभी बंजर जमीन का सन्नाटा विराजमान है!
कभी सूर्य की चमचमाती हुई किरणें
तो कभी अताह तिमिर तले आकाश छायावान है!
कभी दिये में जलती शांत चिराग,
तो कभी धधकती ज्वाला की विनाशक आग है,
कभी रंगीन वादियों में फूलों की राहे,
तो कभी कांटो का आगाज़ है!
कभी खुशी तो कभी गम बेशुमार है,
यही तो रुख बदलती कायनात है!
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