ऊहापोह भावों का
क्लांत,अशांत मन की
वेदना चरमोत्कर्ष पर,
न आयामों में बदलाव,
न रंगों का फैलाव,,
न भ्रष्टाचारी थमती
न कुप्रथाचारी रूकती,,
क्या बात,क्या बात
अनुपम कृति,सुन्दर रचना
लाजवाब अभिव्यक्ति,
अनेकानेक प्रशस्तियां......
तीव्र-ताप पर है क़लम
औषध निष्फल सी,
विराम,"अविराम" को देना
राम-राम मंत्र औषध है न !!
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