QUOTES ON #विकार

#विकार quotes

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27 JUL 2020 AT 7:39

सूचीबद्ध समानताओं का अधिकार
सूचीबद्धता तक ही सीमित

विकार तो 'सीमाओं' से परे
एक अलग 'सीमा' तयकर पनपते है
तोड़ते है 'अधिकार' की बेड़िया
और कहलाते है 'अधिकारी'
प्रतीत होते 'बिम्ब' के

समस्त 'चर' 'अचर'
विपरीत 'धारा' प्रवाही

'मैं' को दिया जाता है जब
अधिकार...
'तय' करने का
'गलत' और 'सही'
तो 'गलत'
है ही हम...

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5 SEP 2020 AT 19:38

क्यों एक लड़की को ही सरे आम बेइज्जत किया जाता है,
क्यों सिर्फ उसके ही वजूद पर...प्रश्न चिन्ह लगाया जाता है,
क्या किसी औरत का साथ...तुम्हारी ज़िन्दगी में कभी हुआ ही नहीं,
तो क्यों अपने संबंध का ही सरे आम मज़ाक उड़ाया जाता है..!!

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26 DEC 2020 AT 13:18

आती हुई हिचकियों से क्यों बेजार है,
कोई याद करे है, ये सोचना, बेकार है.

पानी पी ले ज़रा, अपना ये, विचार है.
इश्क़ नहीं शरीर का ये कोई विकार है.

घूट घूट कर जीने मे क्या मजा यार है,
अब वो गया, तो क्या, दूसरा तैयार है.

आगे देखें, भूलकर के पीछे संसार है,
अपनी नज़र मे तो, वही समझदार है.

यादों वादों के चक्कर में जी बीमार है,
आती सांसों पे साहब इसी का भार है.

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10 DEC 2020 AT 11:35

विचारों के अस्तबल में
विकारों के भी हैं घोड़े
करूँ नियंत्रण कैसे
अड़ियल ये थोड़े थोड़े
किसी पर चलाऊँ चाबुक
और किसी पर कोड़े

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14 APR 2020 AT 23:25

# 15-04-2020 # काव्य कुसुम # दुर्बलता #
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विकार को विचार से तोड़ने का नाम ज़िंदगी है ,

विचार को श्रद्धा-प्रज्ञा से जोड़ने का नाम ज़िंदगी है ,

ज्ञानहीन होकर जीवन जीना ज़िंदगी की दुर्बलता है -

जीवन में राग-द्बेष को छोड़ने का नाम ज़िंदगी है ।
** प्रमोद के प्रभाकर भारतीय - नागौर ( राज ) ***

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7 OCT 2019 AT 19:52

रावण दहन
हर वर्ष प्रतिवर्ष करते हैं न हम
किंतु मन के विकारों का क्या
उसका दहन करते हैं हम
नहीं ,कदापि नहीं
विकारों का दहन सम्भव नहीं

उसका दहन सामर्थ्य से बाहर है
उसतक कोई अग्नि पहुंच ही नहीं पाती
सो मन को शांत करने हेतु दहन करते हैं
जिसे मारा है पुरुषोत्तम राम ने
करते हैं दहन उसी पापासुर का
किंतु नहीं कर पा रहे दहन
मन के असुर का।

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9 AUG 2021 AT 7:55

विकारों से भरे विचार
अपशब्दों से भरी जुबान
और दंभ भरी आवाज़,
करुणा के अंत का प्रमाण है।
और
करुणा के अंत का सीधा सा अर्थ हैं,
मानवता का पतन की ओर अग्रसर होना।

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28 JUL 2020 AT 21:55

भगवान तो सबके लिए सर्बत्र विद्यमान है ...

काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार ..
अगर आप ये पाँच बिकारों से मुक्त हो जाये
तब ही ये संभव है की अप्प भी भगवान को पा सकते है..

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5 JAN 2022 AT 22:53

जिसे प्रेम की परिभाषा समझ आ जाती है जिसे प्रेम करना आ जाता है वो बुद्ध हो जाता है प्रेम ही जीवन का सार है। प्रेम तब तक नही कर सकते तुम किसी से भी जब तक तुम्हारे भीतर अहम रहता है ,मैं का होना । जब तक आपके अंदर के विकार मिट नही जाते है मर नही जाते हैं तब तक आप प्रेम नही कर सकते।प्रेम ह्रदय की शुद्धि है प्रेम को पाने के लिए काम, क्रोध ,मोह ,लोभ, अंहकार को त्यागना पड़ता है ऐसे ही तो नही मीरा ने मोहन को पा लिया राधा ने कृष्ण को पा लिया। प्रेम को पाने के लिए बुद्ध बनना पड़ता है और बुद्ध प्रेम हो जाता है।

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2 MAY 2022 AT 6:43

आपकी एक मुस्कान मन के समस्त विकारों को दूर करने में सक्षम है।

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