QUOTES ON #विकराल

#विकराल quotes

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9 JAN 2021 AT 6:34

प्रेम ने जब भी धरा, क्रोधित रूप विकराल
काली के चरणों तले, बिछ गये महाकाल

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दीदी की दुविधा..

दीदी भी चकरा गयी,
स्वतंत्र ने किया बवाल!
लाइक करके मौन हैं,
अजब है उनका हाल..!

सोच रही हैं ना लिखूं?
तो संकट है विकराल,
अगर लिखूँ तो क्या लिखूं?
सबसे बड़ा सवाल..!

मन ही मन गुस्सा रही,
भाई या बेताल?
जो जब चाहे वो कहे,
देखे सुर न ताल..

सिद्धार्थ मिश्र

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2 JAN 2019 AT 17:21

वक्त का काल बड़ा विकराल,
पलभर खुशियां दुजे पल कंगाल।

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29 JUL 2017 AT 21:34

मेघ तेरे कितने है रूप!
कभी सहज कभी विकराल स्वरुप।

इंद्रधनुष मन मस्त मल्हार!
रौद्र रूप तेरा प्रचंड अपार।

जब सावन बन बौछार लगाए!
ह्रदय..प्रिय मिलन को आतुर भाये।

जब प्रलय करो तुम भीषण बिध्वंशी!
सब लील लियो बनकर के भक्षी।

मेघ तेरे कितने हैं रूप!
कभी सहज कभी विकराल स्वरुप।

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10 APR 2021 AT 13:46

✍️🐾"नैनों की दशा एवं भौंह"🎀✍️
.............................................
दिनों हुए, दिन देखे अब तो,
नैन भी चैन को तरसे हुए थे। 🐾
तेज थे खाकर नजर से पर अब,
अश्क वहाँ से कुछ बरसे हुए थे। 🐾
हुए दीदार नहीं दर्पण के दिनों से,
तभी नैन खुद से अनजान भी थे। ✍️
बढ़ने लगे थे सब केश भौंह के,
ये भौंह तनिक शैतान भी थे। 🎀
इनकी ही नहीं थी बात केवल,
यहाँ खफा तो कई इंसान भी थे।🐾
देखना बाहर प्रतिबंधित था
तभी नैन बहुत परेशान भी थे। 🎀
होने जो लगी महसूस थी घूटन,
यहाँ अब भी कई अंजान भी थे। ✍️
अच्छा खुला माहौल मिला
लगा मानो एक संकट निकला। 🎀
देख मुखड़ा ज़रा सा खिला खिला।
"हर्षित" हुए नैन का मन पिघला। 🐾
हैं गाँव सुरक्षित, शहरों से अधिक,
यहाँ नहीं ज्यादा कहीं प्रदूषण हैं। 🎀
हैं होने लगे विकराल रोग,
अब तो शहरों में समस्या भीषण हैं। ✍️

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पहले फसलों को सूखा कर जला दिया,
अब तूने फसलों को डूबा कर तबाह किया,
अपनी कोमल बूँदो को तूने सैलाब में बदल दिया,
तेरे इस विकराल रूप ने मेरा पूरा गाँव खाली किया।

ऐ मेघ! मैं करता था विनती तेरे बरस जाने की,
पर अब करता हूँ करबद्ध प्रार्थना तेरे थम जाने की।

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13 APR 2021 AT 17:47

मन रोया रोया,
मन खोया खोया,
वर्तमान विकराल है,
जीता जागता काल है,
परिस्थितियां किसी के
वश में रहीं नहीं,
क्यों न हम अपनी
मन:स्थिति को रखें सही...

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4 JAN 2022 AT 20:58

✍🏻🐦 आज का अनुभव 🐦✍🏻

हम पुरानी बातें भूल नही सकते, उन को जितना भूलों.. वो और विकराल रूप में सामने आ खड़ी होती हैं..
समझदारी इस मे हैं कि उन से संघर्ष कर आगे बढ़ जावो, मगर स्मरणीय रखो..
ख़ुश रहो, मस्त रहो, स्वस्थ रहो..✍🏻🐦

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17 OCT 2020 AT 23:03

औरत जब अपने
विकराल रूप में आती है
तो धरती भी अपने अस्तित्व
को ढूढने लग जाती है।

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6 AUG 2018 AT 10:26

संघर्ष की अग्नि से उत्पन्न मैं हूं इक मशाल सी
नाना सी चिंगारी से विस्तृत मैं हूं अब विशाल सी
आग हूं,अनल हूं, पावक हूं,वह्नि हूं
हर संबोधन से हूं विकराल सी

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