✍️🐾"नैनों की दशा एवं भौंह"🎀✍️
.............................................
दिनों हुए, दिन देखे अब तो,
नैन भी चैन को तरसे हुए थे। 🐾
तेज थे खाकर नजर से पर अब,
अश्क वहाँ से कुछ बरसे हुए थे। 🐾
हुए दीदार नहीं दर्पण के दिनों से,
तभी नैन खुद से अनजान भी थे। ✍️
बढ़ने लगे थे सब केश भौंह के,
ये भौंह तनिक शैतान भी थे। 🎀
इनकी ही नहीं थी बात केवल,
यहाँ खफा तो कई इंसान भी थे।🐾
देखना बाहर प्रतिबंधित था
तभी नैन बहुत परेशान भी थे। 🎀
होने जो लगी महसूस थी घूटन,
यहाँ अब भी कई अंजान भी थे। ✍️
अच्छा खुला माहौल मिला
लगा मानो एक संकट निकला। 🎀
देख मुखड़ा ज़रा सा खिला खिला।
"हर्षित" हुए नैन का मन पिघला। 🐾
हैं गाँव सुरक्षित, शहरों से अधिक,
यहाँ नहीं ज्यादा कहीं प्रदूषण हैं। 🎀
हैं होने लगे विकराल रोग,
अब तो शहरों में समस्या भीषण हैं। ✍️
-