जो थी कभी फूलों की वादियाँ,
अब बनी चिंगारी हूँ।
खूबसूरत पर जलती हुई,
एक फुलवारी हूँ।
बेवज़ह तुझसे उलझी,
वक़्त की मारी हूँ।
हाँ, सही पहचाना मुझे,
मैं कश्मीर तुम्हारी हूँ।-
#वादी_ए_कश्मीर में
अब रौनक नही.!
हो गई है यह उजाड़,
दोज़ख सी बन गई.!
चिनार के पत्तों पे लगे,
खून के धब्बे.!
बारुदी महक वादियों में,
दूर तक फैले.!
डल झील के पानी का रंग,
लाल हो गया.!
इंसानी खून से डल झील,
भर गया.!
चिड़ियों की चहचहाहट नही,
वादी में गूंजे.!
बन्दूक की तड़तड़ाहट से,
ये वादियां गूंजे.!
हो गया सब ख़त्म है
अब कुछ नही बचा.!
दोज़ख सा हो गया है ज़न्नत,
बस यही हुआ.!
#अजय57-
कश्मीर की वादियां तो यूं ही बदनाम है .....साहेब
असली "गद्दार "...तो उन बाकी राज्यों में पनाह लिए हुए हैं......
जहां से "देशभक्ति" और "अमन - सुलह" की बातें निकल के आती हैं...।।
-
وادیوں میں بسے رنگین نظاروں کی طرح
پانیوں پہ مچلتے دلکش شیکاروں کی طرح
تمہیں دیکھنے بهر سے زندگی لوٹ آتی ہے
خزاں سے لوٹی ہوئیں حسین بہاروں کی طرح
©دلکش
वादियों में बसे रंगीन नज़ारों की तरह़
पानियों पे मचलते दिलकश शि'कारों की तरह़
तुम्हें देखने भर से ज़िन्दगी लौट आती है
ख़िज़ाँ से लौटी हुईं ह़सीन बहारों की तरह़
©दिलकश-
वादी-ऐ-नुर देखने आए है।
हम कश्मीर देखने आए है।
रेहता है जो सब की जुबापे
वो हुस्न -ऐ-शरुर देखने आए है।
हम कश्मीर देखने आए है।
भारतवर्ष का हम अभीन अंग देखने आए है।
कश्मीर देखने आए है कश्मीर देखने आए है।-