तुमसे दूर रह कर तुम्हारे करीब रहना आता है मुझे खुशी से जीना आता है।। मै समन्दर की वो लहर हूँ जो हवा के साथ अपना रुख बदल लेते है....... मैं वो रंग हूँ जो बेरंग ज़िन्दगी में भी रंग घोल देते है मुझे संजीदगी से ज़िन्दगी को जीना आता है मैं परिन्दों का वो आशियाना हूँ जहाँ सुकून का काफिला ठहरता है...... वाकिफ हूँ मैं ज़िन्दगी के हर मोड़ से जहाँ ज़िन्दगी का हर पहर बदलता है मुझे ज़िन्दगी का हर मुकाम हासिल करना आता है मुझे ज़िन्दगी को जीना आता है.....
इंसानियत ही यहां डर रही है इंसान से, ना देख राह रोशनी की, आगे है बढ़ना अंधियारे रास्तों से, वाकिफ नहीं मेरे नन्हे तू इस भीषण वास्तव से, तबाही का होता अंदाजा तो जन्म ना देती तुझे इस कोख से।