जो आसमां तले
धरती को बिस्तर समझ
हर रात
संघर्ष कर सोता है
मदद उसे चाहिए
जिसे एक वक़्त के
खाने का ठिकाना नहीं
फिर भी
अपनी ज़िन्दगी से
घबराता नहीं
मदद उसे चाहिए
जिसने जन्म दिया
उसने भी
उसे अपना माना नहीं
फिर भी
नियति के खेल से
खुद को असहाय समझकर
कभी घबराता नहीं
मदद उसे चाहिेए
खुदा ने जितना दिया
उससे ज्यादा छिन लिया
फिर भी
वगैर खुदा को कोसे
ज़िन्दगी के जंग में लड़ने से
कभी कतराता नहीं
मदद उसे चाहिए
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