जो चित्र नही चरित्र दिखा दे,
जो मुस्कान में छिपी आँसू दिखा दे,
जो मन के अंदर की फरेब दिखा दे,
जो चमकते चेहरे में छुपी हैवानियत दिखा दे,
जो आँखो में बसे हवस को दिखा दे,
जो होठों पे अटकी आह को दिखा दे,
जो भटके मन को राह दिखा दे,
जो उदास चेहरे पे उत्साह दिखा दे,
जो आदमी को इंसान बना दे,
जो पत्थर में भी उमंग जगा दे,
हा एक तस्वीर खींचनी है मुझे,
जो पूरा सुखी संसार दिखा दे।
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