तुम हो तूम्हारे होने से ही मेरा होना है मेरी अमानत ही नही मेरा वजूद हो तुम तुमने कैसे सोच लिया तुम बिन हूँ मैं !! तुम मेरी ज़िन्दगी ही नही रूह हो मेरी तुम तुम हो तो मैं हूँ।।
प्रभावित होकर किसी व्यक्तित्व से, अच्छे तथ्य सीखकर उन्नति करना बुद्धिमानी तो है.. बस ध्यान इतना अवश्य रहे कि प्रभाव के प्रवाह में, अपने मूल वजूद की उपेक्षा न हो।
मेरा प्यार तुम्हे अपना ना बना सका किसी के झूठे आँसुओ ने तुम्हे अपना बना लिया मेरी खामोशी से ज्यादा किसी की झूठी बातो ने तुम्हे अपने जाल में फंसा लिया कैसे उसने तुमसे तुम्हारी खुशियो का हक छीन लिया कैसे तुम्हारा वजूद मिटा दिया अब मैं नही वक़्त ही बताएगा ।।
फिर हमारे पास खामोश रहने के इलावा कोई जवाब नही होगा बस हमारी आँखो से निकले आँसू ही उनके हर सवाल का जवाब होगा ।। कैसे हमने ज़िन्दगी का ज़हर पिया खुद को हमने यूँ बना लिया जैसे पेड़ से गिरे सूखे पत्तों का वजूद ।।