मैंने एक मजदूर देखा, लोहा देखा संदूर देखा । चप्पल नहीं है पैरों में कांटो पर मजदूर देखा। बिन कपड़ों के गर्मी में जलता सा बदन देखा । चीखती हुई किलकारी व आंखों में आंसू देखा। दो रोटियों के टुकड़ों पर पलता परिवार देखा । उठाता छोटा बच्चा बोझ व पैरों में खून देखा । आंखों में आंसू देखे व बदन आधा नंगा देखा । स्तनों से खिस्का वस्त्र व झोली में छेद देखा । उमर भर की थकान व झुर्रियों वाला शरीर देखा। मजदूरों को क्रूरता से देखने वाला मालिक देखा। रोटी के लिए तड़पता वो खुदा का बंदा देखा । गुनाहों को नजरअंदाज करने वाला खुदा देखा।