QUOTES ON #लिखते

#लिखते quotes

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20 JUL 2020 AT 15:34

कुछ लिखते वक्त
कुछ सुनाने वक्त
या किसी से कुछ बतियाते वक्त
वो *मौन खड़ा मुझे देख रहा है
जिंदगी को फुसलाते वक्त

*वो - मेरी अंतरात्मा

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24 MAY 2020 AT 23:15

लिखते हैं मिटाते हैं ,
तब जाके
जज़्बात अल्फ़ाज़
का रुप ले पाते हैं !

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30 AUG 2018 AT 0:03

मेरे लिए लिखते हो, मुझे पढ़कर तुम..!

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10 JUL 2020 AT 0:21

हार जीत की परवाह नहीं मुझे
हम तो लिखते हैं दिल से यार
लिख कर हर तरह के जज़्बात
महसूस करने की कोशिश हम
आखिर जिंदगी में
कैसी कैसी आती हैं उतारा चढ़ाव
कोशिश रहती हैं
समझ सके लोग
लिखना चाहते हैं हम क्या
और पसंद आए सभी को
लिखे हमारे जज़्बात

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29 MAY 2019 AT 21:47

चलो भेदभावों को मिटा कर,
आज नया हिंदुस्तान लिखते हैं,
न कोई मजहब हो,न कोई सरहदें हों,
चलो आज सीने पे पूरा हिंदुस्तान लिखते हैं।
रक्त रंजिश सरहद को,
चलो आज फूलों से भरतें हैं,
हर दीवारों को फांद कर,
चलो आज शहीदों के कब्र पे चलते हैं।
नम आंखों को खुशियों से भरते हैं,
सिंधु पार की नगरी को,
चलो आज "दिव्य हिंदुस्तान" लिखते हैं।
उनके नाम आज सुनहरे अक्षरों से लिखते हैं,
चलो आज "अमर हिंदुस्तान"लिखते हैं
अपने लहू का कण कण,
इस समस्त आर्यावर्त को समर्पित करते हैं,
चलो आज "समृद्ध हिंदुस्तान"लिखते हैं।
भगत सिंह,राजगुरु,सुखदेव हम लिखते हैं,
चंद्र की भूमि को आज़ाद हम लिखते हैं,
अम्बेडकर की सुनहरी,संविधान हम लिखते हैं,
चलो आज नया हिंदुस्तान हम लिखते हैं।।

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15 AUG 2020 AT 13:25

किताब यादों की उठाकर पढ़ना हमको!!
एक खाका तैयार मिलेगे सुनना तुमको!!
Hum....

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26 JAN 2020 AT 13:29

आज कुछ लिखते-लिखते थक सा गया हूं,
तेरी देहलीज पर आकर रुक सा गया हूं,
समझ नहीं आ रहा कदम आगे रखूं की नहीं,
पर पीछे भी हट नहीं सकता मैं,
जानता हूं मैं कि आगे जाऊंगा तभी,
कुछ हासिल होगा मुझे,
पर मन में डर है कि फिर हार जाऊंगा मैं,
फिर कोशिश कर लूंगा मैं,
जब तक मुझे मेरी मंजिल ना मिली ,
तब तक हार नहीं मानूंगा मैं,
क्या हुआ अगर मुझे थोड़ा वक्त लगा,
पर अपनी मंजिल पर जरूर पहुंचूंगा मैं,
आज कुछ लिखते-लिखते थक सा गया हूं,
तेरी देहलीज पर आकर रुक सा गया हूं।।।

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28 MAY 2020 AT 1:54

हर रोज वो,
कहानी लिखते हैं,
हम तो बस अपनी,
जुबानी लिखते हैं,
लिखते तो हम,
दोनों एक सा हैं,
मगर वह अपनी,
जुबानी लिखते हैं,
हम अपनी,
जुबानी लिखते हैं।

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22 MAY 2021 AT 18:55

सब सुख़नवर अज़ीज़ हैं मैं ना किसी को पीछे छोड़ूं
वो अपना-अपना लिखते हैं मैं ख़ुद का लहू निचोड़ूं

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22 FEB 2018 AT 11:46

दर्द-ए- दिल अब जाने लगा है
तुम्हें लिखते-लिखते मज़ा आने लगा है...

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