चलो भेदभावों को मिटा कर,
आज नया हिंदुस्तान लिखते हैं,
न कोई मजहब हो,न कोई सरहदें हों,
चलो आज सीने पे पूरा हिंदुस्तान लिखते हैं।
रक्त रंजिश सरहद को,
चलो आज फूलों से भरतें हैं,
हर दीवारों को फांद कर,
चलो आज शहीदों के कब्र पे चलते हैं।
नम आंखों को खुशियों से भरते हैं,
सिंधु पार की नगरी को,
चलो आज "दिव्य हिंदुस्तान" लिखते हैं।
उनके नाम आज सुनहरे अक्षरों से लिखते हैं,
चलो आज "अमर हिंदुस्तान"लिखते हैं
अपने लहू का कण कण,
इस समस्त आर्यावर्त को समर्पित करते हैं,
चलो आज "समृद्ध हिंदुस्तान"लिखते हैं।
भगत सिंह,राजगुरु,सुखदेव हम लिखते हैं,
चंद्र की भूमि को आज़ाद हम लिखते हैं,
अम्बेडकर की सुनहरी,संविधान हम लिखते हैं,
चलो आज नया हिंदुस्तान हम लिखते हैं।।
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