मैं जिंदा लाश बनकर रह गया तुम्हारे दिल की मीनारों में ,
कश्तियां डूब गईं समुंदर में और साथ छोड़ दिया किनारों ने ,
खिल गए फूल तुम्हारी बगिया के यहां तो पतझड़ है बहारों में ,
सींचता था मै तेरे ख़्वाबों को बस तेरे थोड़े ही इशारों में ,
सूख गईं डाली मेरी सबके घर हरियाली फिर भी खुश हूं इन नजारों में ,
मै जिंदा लाश बनकर रह गया तुम्हारे दिल की मीनारों में ।।
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