एक गुल्लक बनाया है मैंने भी रोज़ थोड़े-थोड़े लम्हे डालूंगा कुछ बच्चों की बात के, थोड़े पत्नी के साथ के, थोड़े बड़ों की डांट के दोस्तों से मुलाक़ात के, फुरसत मिलेगी जब कुछ सालों बाद और कमी होगी लम्हों की, तब तोड़ दूंगा उसे और जी लूँगा उन लम्हो को फिर से एक बार !