घुट रहा है दम, सहारा देना चाहिए
घर में रोशनदान होना चाहिए
मौसम बदल जाते है, पता नहीं चलता
मेरे मुल्क में ख़ुशी का झंडा फहराना चाहिए
कहने को तो बहुत कुछ है मेरे पास
वज़ीर- ए- आज़म हिन्दुस्तान होना चाहिए
मेरा घर तल्खियों से लबालब हो गया है
कि अब तो सैलाब आना चाहिए
बहुत हो गए दर-दर शिकवे ए रफीक़
अब हमें एक दस्तरखान बिछाना चाहिए
सदाक़त लिख - लिख कर आम होना चाहिए
"ज़ैनब" तुम्हारी क़लम से इंकलाब आना चाहिए
-