वो मुझमें पसीने की महक सा घुला है
यूँ इत्र की शीशी में क्या ढूंढते हो...
ए मेरे यारों मेरे हर जज़्बात में सिर्फ वो है
यूँ चंद लफ्ज़ों में क्या ढूंढते हो...
मेरे चेहरे की ये चमक उसके साथ से है
यूँ चाँद की चांदनी में क्या ढूंढते हो...
मैं नहीं उसका साया जो छोड़ दूं साथ रातों में
यूँ वक़्त की मेहरबानियों में क्या ढूंढते हो??
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