वो मुँह फुलाकर कर बैठ जाती है......,
एक सुलझी-सी लड़की,
जिद्द कहाँ करती है।
परिपक्वता की उम्र से पहले अपनी ,
अड़ियल उम्र में परिपक्व हो जाती है।।
चुल्हा-चौकी हो,या हो विचार सब में,
अपना बचपन भूलकर ,
जिम्मेदार बन जाती है।
गुड्डा-गुड्डी,और खिलौनें इन सब में
कहाँ उसका बचपन बीता है,
"पापा की परी" नाम से ,
अक्सर मैं हँस देती हूँ।।
वो अक्सर मुँह फुलाकर बैठ जाती है,
क्योंकि एक सुलझी-सी लड़की ,
जिद्द कहाँ कर पाती है।।
Vandana jangir
-