QUOTES ON #लड़कियाँ

#लड़कियाँ quotes

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16 AUG 2019 AT 20:59

// गाय सी लड़कियाँ //


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17 MAY 2019 AT 23:04

उम्मीदों की,
परंपराओं की,
चहारदीवारी में क़ैद
लड़कियाँ
त्याग कर इच्छाएँ,
हार कर सबकुछ,
लिखती हैं कविताएँ
अक्सर
बग़ावत पर,
अड़ियलपन पर,
और कर लिया करती हैं
ख़ालीपन की खानापूर्ति,
दे लिया करती है
मन को झूठी तसल्ली,
कर के ज़िक्र
स्वच्छंदता का
आवारा-मिज़ाजी का,
क्यूँ कि,
वो बस इतना ही जानती हैं
कि, अगर वे नहीं
तो उनकी कविताएँ सही!

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30 SEP 2020 AT 1:10

सुनो लड़कियों!
पोंछो आँसू, रोना छोड़ो अब,
हुआ बहुत बंधन तोड़ो अब।

उठो लड़कियों!
भद्दी सामाजिक पुस्तक में,
साहस के पन्ने जोड़ो अब।

अरे लड़कियों!
कभी मिटीं परिवार के पीछे,
कभी मिटीं तुम प्यार के पीछे।

मगर लड़कियों, जान रहो!
औरों का दोष न सारा है,
कुछ तो दोष तुम्हारा है।

जगो लड़कियों!
होश में आओ! क्रोध में आओ!
आँख मिलाओ, रोष में आओ!

फेंक उतारो!
घूँघट-वूँघट, बुर्क़े-पर्दे,
सब बेदर्दे।

चलो लड़कियों!
कदम मिला इतिहास बनाओ,
हाथ मिलाओ, साथ में आओ।

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31 MAY 2020 AT 11:45

गुलाब की तरह होती है कुछ लड़कियां..........
पहले बनती है किसी की मोहब्बत में नायाब और फिर कैद कर दी जाती हैं किताबों के बीच कहीं.......हमेशा हमेशा के लिए!!

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9 MAR 2021 AT 23:26

आज shower के नीचे बैठे बैठे अचानक से मुझे enlightenment की प्राप्ति हुई .....
आज समझ आया कि ..
आख़िर लड़कियों को पराया धन क्यूँ कहते हैं ...
(Read in caption )
©️LightSoul

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21 AUG 2021 AT 13:38

लड़कियाँ भी कितनी
भोली होती है ना
एक चुटकी सिंदुर
के बदले
अपनी पूरी दुनिया
सौंप देती है
किसी को..!!

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29 DEC 2021 AT 16:57

मैं लड़की हूँ ....
सब कुछ कर सकती हूँ...
†****†****†**
मैं लाचार नहीं ,अभिशाप नहीं
मैं धिक्कार नहीं,बेकार नहीं
मैं सब सहती हूंँ ..पर चुप रहती हूँ..
मैं जब तक चुप हूंँ...बस चुप रहती हूंँ..
मैं गरजूँ तो चीर के रख दूंँ....,
छाती उसकी...
और..जुल्म कोई कर ले मुझपे..
ये ..तेरे बस की बात नहीं..
मैं अधिकारों का हनन नहीं ..
मैं बाजारों। का खनन नहीं..
मैं मातृ भूमि के कण से जन्मी
मैं तेरे कर्मो का जनन नहीं ....
*****†******†
( पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें ...)👇👇👇

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26 JUL 2019 AT 9:49

चूल्हे में जला सारी हसरतें
कूकर की ले ली चार सीटियाँ
तुम क्या समझोंगे जमाने वालों
कैसे कड़वे घूँट पी जाती बेटियाँ...!

बालपन से यौवन तक
हर रंग ढलती कठपुतलियाँ
बाबा के बाग़ की हरियाली सी
काँटों के बीच फुलवारी बेटियाँ...!

यौवन रंगे, चढ़े प्रेम रंग
मन मचल ले अठखेलियाँ
ख़ुद ख़्वाहिशों का गला घोंट
प्रतिष्ठा बचाने मुस्काती बेटियाँ...!

कच्ची कली बन फूल खिले
शाक से अनुभव पेड़ की डालियाँ
स्वयं बीज रक्त से सिंचित करती
खेती-किसानी जान जाती बेटियाँ...!

स्नेह-प्रेम से सदा वंचित
अनकही-अनसुलझी सी पहेलियाँ
ज्यों तन-मन से पूर्ण न्यौछावर
काहे ख़ुद को सिध्द करे बेटियाँ...!

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जाने कितने
मासूमों के खून से रंगकर
ये हर बार आती है,
हर सुबह जब दरवाजे पर
काली स्याही से सजकर
अखबार आती है।।

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15 JUN 2021 AT 12:31

अमावस में भी ये चाँदनी रात देती हैं लड़कियाँ
समाज के हर लांछन को मात देती हैं लड़कियाँ

भीतर ही रख कर हर दुःख मुस्कुरा लेती हैं ये
छोड़ जाते हैं सब तब साथ देती हैं लड़कियाँ।

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