QUOTES ON #लघु_कथा

#लघु_कथा quotes

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6 SEP 2018 AT 13:58

उसे राजकुमार मिला था। ऐसा राजकुमार जिसके लिये कई राजकुमारियाँ दीवानी थीं। परन्तु वो खुश नहीं थी। उसके सपनों का इंद्रधनुष बेरंग हो गया था। वो बचपन से राजकुमारी के सपने देखती आयी थी।

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15 OCT 2019 AT 9:29

बेटी को जमकर पीटा बाप ने
कलमुही अपने यार से मिलने गई थी
तभी फोन बज उठा....
गाड़ी का वक्त हो गया था
उसे जाना था...
बिमली की बेटी की शादी जो थी आज
कभी बिमली को टूट कर चाहा था उसने
पर एक न हो पाए दोनों...
एक आखिरी बार उसे
बिमली से मिलने तो जाना ही था। 💕

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16 JUN 2017 AT 0:33

लिहाफ़ में बंद चाँद सी आँखे
रोज़ चार होती थीं , रोज़ खुलता था
पर्दा और रोज़ अज़ान होती थी ।। बंद लबों से उनके बीच बातें हज़ार होती थीं , एक यही तो वो वक्त होता था जब वो ख़ुदा के इबादत में सज़दा करती थी और उसे 4 बाई 4 की खिड़की में चाँद का दीदार होता था...... कोई कहानी शुरू होने को थी , कोई इबारत साँस लेने को थी की अब्र ने इश्क़ किया चाँद से और समेट लिया उसे अपने आग़ोश में ।।
अगली सुबह सिसक़ रहे थें अशआर कई सज़दे में थीं आयतें ख़ामोश कहीं । अमावस हुयी इस खिड़की पर , उस खिड़की का चाँद ले गया ईद कोई ।।

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18 NOV 2016 AT 16:29

आज बहुत दिनों बाद,
जला था चमेली के घर में चूल्हा,
सिर्फ वो ही जानती थी,
इसके लिए उसने,
कितनों की आग बुझाई थी।

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15 FEB 2018 AT 22:11

प्रतिष्ठाऔर पैसा प्रतिष्ठा और पैसा दोनों परम मित्र थे।जहाँ -जहाँ पैसा जाता उसके पीछे -पीछे प्रतिष्ठा भी पहुंच जाती थी।वर्षों दोनों साथ रहे ।इधर पैसे ने खूब तरक्की की ,मगर उसने प्रतिष्ठा का ख्याल रखना ही छोड़ लिया क्योंकि उसे गुमान था कि प्रतिष्ठा सदा उसके संग ही रहेगी।
वर्षों बाद की बात है।पैसे के मन में नगर -भ्रमण की इच्छा हुई ।वह थोड़ी ही दूर आगे बढ़ा था कि कई लोग उसकी निंदा करने वाले उसे मिल गए। पैसे को गहरा धक्का लगा ।उसको अपनी प्रतिष्ठा की चिंता हुई ।बहुत पुकारने पर भी प्रतिष्ठा का कोई स्वर सुनाई नहीं दिया ।
पैसे ने निश्चय किया कि वह अपने मित्र प्रतिष्ठा को खोज निकालेगा।कई दिन भटकने के बाद आखिर पैसे की भेंट प्रतिष्ठा से हो गई ,मगर उसकी दशा दयनीय थी।
पैसे ने प्रतिष्ठा से कहा-"तुम्हारी यह दुर्दशा कैसे हुई, मित्र ।"
पैसे को प्रतिष्ठा का जवाब मिला-" तुमने अपनी तरक्की के लिए खूब गलत- सलत कियाऔर मेरा ख्याल रखना ही छोड़ दिया।और अब पूछते हो कि मेरी यह दुर्दशा कैसी हुई? "
पैसा निरुत्तर होकर अपनी प्रतिष्ठा को टुकुर-टुकुर देखने लगा।
- नवीन कुमार 'नवेंदु'

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एक शाम- कहानी

कुछ किस्से, ज़िन्दगी में एक कसक दे जाते है। कोई ऐसी गलती जिसे हम सुधार भी ना सकते, और भुला भी ना पाते। एक किस्सा या गलती कहे तो बेहतर होगा मुझसे भी हुई थी।

(कहानी अनुशीर्षक में पढ़े)

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10 MAR 2018 AT 21:45

अमीरी की पहली शर्त:अजय अमिताभ सुमन

राजेश एक वकील के पास ड्राईवर था। पिछले पाँच दिनों से बीमार था। पगार देने वक्त साहब ने बताया कि ओवर टाइम मिलाकर और पांच दिन बीमारी के पैसे काटकर उसके 9122 रूपये बनते है। राजेश के ऊपर पुरे परिवार की जिम्मेवारी थी।मरता क्या ना करता।उसने चुप चाप स्वीकार कर लिया। साहब ने उसे 9100 रूपये दिए। पूछा तुम्हारे पास 78 रूपये खुल्ले है क्या? राजेश के पास खुल्ले नहीं थे।मजबूरन उसे  9100 रूपये लेकर लौटने पड़े।

उसने रिक्शा लिया और घर की तरफ चल पड़ा।घर पहुंच कर रिक्शेवाले को 100 रूपये पकड़ा दिए।रिक्शेवाले के पास खुल्ले नहीं थे। रिक्शेवाले ने कोशिश की पर खुल्ले नही मिले।आखिर में रिक्शा वाले ने वो 100 रुपये राजेश को लौटा दिए।

राजेश को अपने साहब की बात याद आने लगी। बोल रहे थे, मेरा मकान , मेरी मर्सिडीज बेंज सब तो यहीं है। तुम्हारे 22 रूपये बचाने के लिए अपने घर और अपने मर्सिडीज बेंज को थोड़े हीं न बेच दूंगा। एक ये रिक्शा वाला था जिसने खुल्ले नहीं मिलने पे अपना 10 रुपया छोड़ दिया और एक उसके साहब थे जिन्होंने खुल्ले नहीं मिलने पे उसके 22 रूपये रख लिए। 

ये बात राजेश को समझ आ गयी। मर्सिडीज बेंज पाने के लिए पहली शर्त है साहब की तरह दिल से गरीबी को पकड़ना। ज्यादा बड़ा दिल रख कर क्या बन लोगे, महज एक रिक्शे वाला।










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3 DEC 2018 AT 13:19

दोनों कॉलेज के बाद रोज़ ही मिलते थे... वो दशहरा मैदान वाले अपने हॉस्टल से आती थी और वो महानंदा नगर से होता हुआ देवास रोड पर मिल जाता था... दोनों पास ही नए खुले पिज़्ज़ा शॉप पर जाते थे और हर बार कुछ नया सा ऑर्डर करते थे... कुछ दिनों बाद दुकान वाला उनका इंतज़ार करने लगा और दोनों प्रेमियों को पिज़्ज़ा के साथ उनका वक़्त भी देने लगा.... लोग कहते थे कि दुकान ज़्यादा चलती नहीं है और कभी भी बंद हो सकती थी... शायद सच ही था , क्यूँकि उन्हें कभी दुकान में कोई दूसरा नहीं मिला....

अब उन्होंने जाना कम कर दिया था... एक बार जब वो अकेला ही गया तो दुकान वाले की आँखों ने उससे वही पूछा जो वो जवाब नहीं देना चाहता था... वो कभी दोबारा अकेले नहीं जा सका...

कई साल बाद जब वापस उस शहर जाना हुआ तो देखा कि दुकान बंद हो चुकी है.... उसे दुःख हुआ और एक संतोष भी कि उस जगह कोई दूसरी दुकान नहीं खुली...

कुछ बदलाव अच्छे नहीं लगते...

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2 DEC 2018 AT 20:54

Link bio में...

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16 JAN 2019 AT 23:21

कलंक💕💕

अरी करमजली ! "कहाँ मुँह काला करके आ गयी किसका पाप है तेरे पेट में बता तो सही"।"शादी तुम्हारे बेटे से की है अम्मा उसका ही होगा ना क्यों बोले जा रही हो"।अम्मा चुप हो गयी ।अब क्या जवाब देती । शादी कर तो दि थी झूठ बोल कर मगर हकीकत तो पता थी।
अम्मा हम मजबूर थे। तुम कलंक हम पर लगाती रही।
असलियत पता होने के बाद भी हम ही बाँझ रहे तो क्या करते। अब ना तुम पर उंगली उठेगी ना हम पर।
चुप हो गयी अम्मा। बात गलत भी ना थी। चल बेटे कि कमजोरी तो दबी। जो हुआ सो ठीक।




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