QUOTES ON #लकीरें

#लकीरें quotes

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23 APR 2019 AT 16:46

हमारे हाथो की लकीरे कब एक हुई पता ही ना लगा
आपने मुझे अपनी तरफ कब खींच लिया पता ही ना लगा
कब तुम हमारी इबादात में दुआ बनकर आने लगे पता ही न लगा.......
तुम्हारी दुनिया में मैंने खुद को कब रंग लिया पता ही ना लगा
दुनिया की भीड़ में ना जाने हमने खुद को कहां खो दिया था
ये कुदरत का इत्तफ़ाक़ नही हमारी हाथो की लकीरों मे लिखा था

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12 JUL 2020 AT 10:47

लकीरें मेरे भी हाथों में थी उसके नाम की मगर
वो "बहुत छोटी" हैं...
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ये बात मैंने ग़ौर नहीं किया...!

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20 MAY 2020 AT 21:31

किस्मत कि लकीरों में तुम लिखे हो या नही पता नहीं ,
पर हाथों की लकीरों पे तुम्हें हर रोज लिखती हूँ।

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31 JUL 2020 AT 19:59

कभी सोचा भी नहीं था कि एक ऐसा दिन भी आएगा,
जब लकीरों में लिखे तेरे नाम को मेहंदी से छुपाया जाएगा..!

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25 MAY 2021 AT 19:28

हाथ तो मिलते रहते है
एक दुज़े से
ऐ ख़ुदा,
गर लकीरें मिला देता
तो क्या बात होती

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1 AUG 2019 AT 23:17

हमें आज कल की फिकर फिर से होने लगी,
था लकीरों में जिसकी वो हमें आज खोने लगी।
थी खफा वो हमसे हफ्तों से जाने किस बात पर,
मैं मनाने गया और वो रोने लगी।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)

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21 FEB 2022 AT 16:07

हैरान हूँ मैं जिंदगी का ये रंग देखकर
कि मोहब्बत पुराने हालात में नहीं है ।

दूरियाँ भी छुड़ा न सकी बाहें जिसकी
अब वो शख़्स भी मेरे साथ में नहीं है ।

नींद मेरी टूट जाती है अब ये सोचकर
वो चाँदनी भी अब इस रात में नहीं है ।

आलम था कि इश्क़ झलकता था आँखों में
अब वो बात भी उसके जज़्बात में नहीं है ।

खोजता फ़िर रहा हूँ मैं दर-दर भटककर
वो इश्क़, जो अब इस मुलाक़ात में नहीं है ।

जिसे मिली है वो, उसके हाथों में देखूँगा
वो लकीरें, जो 'अभय' के हाथ में नहीं है ।

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21 NOV 2020 AT 8:39

आह़िस्ता-आह़िस्ता बढ़ रहीं चेहरे की लकीरें
शायदनादानी और तजुर्बे में बँटवारा हो रहा !!
🙂🙂

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31 AUG 2020 AT 20:35

तेरी दी गई ज़िन्दगी तुझे मुबारक मेरे खुदा,
अब इसे जीने की तमन्ना ना रही ।
कब तक सीधी चलूँ इन टेढी लकीरों पर ,
अब मैं इन राहों की मुसाफ़िर ना रही।
दोहरे चेहरे ही दिखे तेरी दुनिया में सभी के ,
अब किसी सच्चे शख़्स की फ़रमाइश ना रही।

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दिखते हैं राहों में जो अपने, पराया समझना नहीं।
सीने से लगा लेना उसे, तुम सिर पटकना नहीं।।

ख़्याल है मुझे, तुम्हारे हर एक ख़्याल की 'धर्मेंद्र'
अपनी जेब में हाथ डालो, उसका तकना नहीं।।

हाथों में लकीरें बहुत है, लकीरों में लटकना नहीं।
नज़ारा बहुत हसीन है, तुम आँख झपकना नहीं।।

मंजिल है दूर, पर है शर्त, यहाँ थकना कोई नहीं।
कहने को अपने है बहुत, पर अपना कोई नहीं।।

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