दिखते हैं राहों में जो अपने, पराया समझना नहीं।
सीने से लगा लेना उसे, तुम सिर पटकना नहीं।।
ख़्याल है मुझे, तुम्हारे हर एक ख़्याल की 'धर्मेंद्र'
अपनी जेब में हाथ डालो, उसका तकना नहीं।।
हाथों में लकीरें बहुत है, लकीरों में लटकना नहीं।
नज़ारा बहुत हसीन है, तुम आँख झपकना नहीं।।
मंजिल है दूर, पर है शर्त, यहाँ थकना कोई नहीं।
कहने को अपने है बहुत, पर अपना कोई नहीं।।
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