Sanjay Saroj 7 MAR 2021 AT 7:46 आज फ़िर से एक इतवार आया है,पहली दफ़ा नही, कई बार आया है।ज़िन्दगी की उलझनों में जो फट गये है रिश्ते,सुलझा लो उनको, करने जीर्णोद्धार आया है।निकाल फेको उन सड़ी-गली सोच को ज़ेहन से।लगा लो गले से देखो देने तुम्हे अँकवार आया है। - Rohit Sharma 1 DEC 2019 AT 16:39 किसी उधड़े कपड़े सी है ज़िन्दगी,कोई रफ़ूगर हो तो बता दीजिए....! - Chanchal Choudhary 13 MAY 2019 AT 3:23 जिस्म का चिथड़ा भर थी मैं .. वो रफ़ू करने के बहाने .. ज़ख्म देता चला गया - Ritu Sharma 2 SEP 2020 AT 14:00 हमारे लिबास का मज़ाक उड़ाने वालों को क्या पताकी हम जिंदगी को भी बहुत बार रफ़ू कर चुके हैं...... - Riya Yadav 7 AUG 2021 AT 22:51 212 212 212 212प्यार पाना तेरा आख़री जुस्तजूमुझको दिखता है बस तू मेरे चार-सू।1रात में हम करेंगे नहीं गुफ़्तगूफ़ैल जाती है हर बात फिर कू-ब-कू।2कोई रहता मेरे साथ हर वक़्त हैतू नहीं है मगर, तुझ सा है हू-ब-हू।3एक पल भी न गुजरे मेरा तेरे बिनक्या कभी पूरी होगी मेरी आरज़ू।4सिर्फ तेरी ही सुनती रहूँ मैं सदाक्यों नहीं मानता मेरी इक बात तू।5जब भी तेरा गुजर हो कहीं पास सेआने लगती हवा में तेरी मुझको बू।6आ भी जा अब "रिया" है तेरा इंतज़ारऔ'र किसी से नहीं ज़ख़्म होगा रफ़ू।7 - Rohit Sharma 26 NOV 2019 AT 18:25 ज़रूरत पड़ी है अब रफू करने की,क्योंकि ज़िन्दगी बहुत फटेहाल सी है...! - Pardeep Chahal 27 SEP 2017 AT 10:17 जिंदगी के लिबास पर बेल-बूटे क्या कढ़तेहमने तो गुजार दी उम्र सारी रफ़ू करते - Vanita Banerjee 11 JUL 2018 AT 11:17 बैठे बैठे नज़्मों के टाँके लगाकर इस ज़ख्मी दिल को रफ़ू करती रहती हूँ .. - Vikas Bhatt✍🏻 21 SEP 2020 AT 14:46 फटी ज़िन्दगी-ए-चादर को रोज़ रफ़ू करता था कभी इस तरफ कभी उस तरफ से कफ़न तैयार करता था ज़िन्दगी बोझ में जी रहा था किसी साथी के बगैर अब तो सब तेरे नाम से है मेरे पास जो कभी मैं ग़ुमनामी में जिया करता था.... - Shivendra Singh 22 AUG 2017 AT 15:29 जिन रूहानी रिश्तों की चादर फट गयी है,अब रफ़ू कर के उसको ओढ़ने का जी नहीं है! -