QUOTES ON #रौशनदान

#रौशनदान quotes

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16 JUL 2018 AT 23:28

"दीवारों के कैदी हम"

दूर-से-दूर वीयावान से
खंडर से और मकान से ॥
दीवारों के क़ैदी हम
ऊचक-ऊचक देखते हैं रोशनदान से ॥

गहराई की गहराई में
है समां बात बुनने को ॥
अरे! कहाँ है समां अब
बात किसी की सुनने को ॥

ठूँस - ठूँस भरे विचार
किनसे करें बातें चार ॥
लौट रहे खंडरो को
वे झूठी मुस्कान से ॥

दीवारों के क़ैदी हम
ऊचक - ऊचक देखते हैं रोशनदान से ॥

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10 AUG 2018 AT 13:50

"Beautiful Bakwas 😢"

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23 AUG 2017 AT 20:58

दीवारों पर ठहरे ये रौशनदान
तसव्वुर में महफूज रखते हैं
राज !
पोशीदा संजीदा खुशगवार और
कुछ गमजदा
चश्मदीद गवाह हैं
सुबह की झलफलाती झांकती रौशन कहकहों से
स्याह रातों की सिसकियों तक के
अल्फाज नहीं है न जबां है इनके
दफन हो जाते हैं जज्बात खयालात और हकीकत
इकबाल ए बयां दर्ज नहीं होते
आसां कहां होता है
राज को राज रखना।
प्रीति

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6 JUL 2018 AT 0:21

ये आसमान कितना बड़ा है रौशनदान से देखो...
न जाने क्यों सब जानते हुए भी तुम ये नादानी करते हो!!
खुले आसमान में उसको अपने पर फैलाने दो...
न जाने क्यों उस पंछी को पिंजरे में कैद किए हुए हो!!

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6 JUL 2018 AT 17:38

मैं यायावर हूँ
मैं हिमालय पर्वत से statue of liberty को छूता हूँ
मैं प्रशांत सागर से अरब सागर तक नाव चलाता हूँ
मैं कश्मीर से कन्याकुमारी तक दौड़ लगाता हूँ
मैं वोल्गा किनारे गंगा का गीत गाता हूँ
मैं एक पागल यायावर हूँ

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10 AUG 2018 AT 14:41

रौशनदान....

(पूरा अनुशीर्षक मे )





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17 JUL 2018 AT 10:43

"दीवारों के कैदी हम"

इस तेज भागती दुनिया में
जमाने ऐसे भी आएंगे,
जब धरती पर इंसां से ज्यादा
हर तरफ मकां हीं नज़र आयेंगे!
ना धूप रहेगी हिस्से में
ना पेड़ों की छाँह रह जाएगी,
तब ईंट और पत्थरों के हीं
यहाँ फूल उगाएं जाएंगे!
तब चाँदनी रातों में फिर
चकोर को चाँद नज़र ना आएगा,
हसीं वादियां, खुला आस्माँ
ये सब किस्से बन जाएंगे!
आस्माँ छूती इमारतों के बीच
जीवन कहीं खो जाएगा,
जब रौशनदानों से झांकेगा बचपन
दीवारों के कैदी हम बन जाएंगे!

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4 JUL 2018 AT 21:28

रौशनदान से देखो
फ़लक के दरिचे से
पंख फेलाए यायावर चाँद
तेरी छत पे तारे चुग रहा है
पंखो से बंधी कुछ हवाएँ
तेरी ज़ुल्फ़ों पर खुली
चाँदनी है खिली

धूप बिखर ना जाए कहीं
पंख कुतर जाएँगे
चाँद उड़ जाएगा !

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जिंदगी के दरवाजे बंद हो जाऐ भले।
अपनी यादो का रौशनदान खुला रखना।
अश़्क महफिलो मे क्या रखा न मय है न मै हु,
सुनो इस सावन तो महुऐ की शाख पे झुला रखना।

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4 AUG 2017 AT 19:40

ये सूर्य तु मेरी महबूब पर अपनी नजर मत रख
वो कह रही थी तु रोज उसे रौशनदान से झाँकता है

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