हर दिन जशन मनाने लगा,
मैं मुश्किलों में मुस्कुराने लगा,
मुझे क्या रुलायेगी गुलशाद ज़िन्दगी,
मैं रोतो को हंसाने लगा,
हर दिन जशन मनाने लगा,
और हँसना या रोना तो महज़ दिखावा है,
जो दिख रहा है वो कुछ दिन का
बस वक़्त का पहनावा है,
ये चलते वक़्त के बुलबुले है फूट ही जायेंगे,
फिर नए बुलबुले नया वक़्त दौर नया बनाएंगे,
इसलिए मैं हर पल को
दिलसे जिये जाने लगा,
मैं मुश्किलो में मुस्कुराने लगा,
हर दिन जशन मनाने लगा।
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