QUOTES ON #रूमानी

#रूमानी quotes

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3 NOV 2019 AT 9:11

न जाने कब नवंबर रूमानी हो गया।
उनके आने से सबकुछ तूफानी हो गया।

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26 MAY 2018 AT 23:21

ये रात कुछ सुहानी सी है
फिज़ा भी कुछ रुमानी सी है
इन हवाओं से भी कह दो ज़रा..
बंद पलकों में बस तेरे ही सपने सजा जायें...

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12 SEP 2018 AT 15:30

कई दिनों से कुछ रूमानी नहीं लिखा,
आ कर ज़रा हमारी कलम चूम लीजिए!

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13 NOV 2018 AT 20:41

साल भर की
कड़ाके की हाड-कंपाती सर्दी,
निर्दयी-निष्ठुर-निर्जीव-उजाड़ पतझड़,
भीषण-झुलसाती-जानलेवा गर्मी-सूखा-लू,
बेतरतीब बरसात-ओलों-बाढ़ के बाद
जो सुक़ून वाला एक महीना आता है ना

वो महीना
जो गुलाबी सी,
कुछ रूमानी सी,
हल्की-हल्की सी
ठंडक लाता है ना

कुछ उसी महीने सी हो तुम

सुनो! मेरा 'नवम्बर' हो तुम!

-साकेत गर्ग 'सागा'

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11 AUG 2021 AT 21:26

मुझे क़रार चाहिए,, बेक़रार करो तुम
होश में हूँ के बेहोशी सवार करो तुम

खंज़र सी घोंप दो भीतर रूह तलक
आँखों को ही अब तलवार करो तुम

उड़ेल दो ख़ुशबुएं साँसों की अपनी
और पीना चाहूँ, तलबगार करो तुम

भर जाएं ज़ख्म ज़माने के दिये सारे
लबों से लबों पर ऐसा वार करो तुम

बाहों में कस के तोड़ दूँ पैमाने सारे
धड़कनों की तेज रफ़्तार करो तुम

छेड़ने दे तेरे बदन का कोना कोना
तोडूं जो हद, ना ख़बरदार करो तुम

मुक़द्दस आरजूओं को हाशिएं पे ला
आहें अपनी भी होशियार करो तुम

सारे गुनाह करेगा आज जो 'बवाल'
आग़ोश में अपने गिरफ़्तार करो तुम

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21 JUL 2021 AT 0:15

लंबे बाल, कमर जमाल और चाल जैसे भूचाल है
वो क़ातिल, जो पलट कर देख ले, करे बुरा हाल है

पलकें उसकी कारी कारी, ऊपर से सुरमा भी तारी
सम्मोहित करले पल में अंग-अंग सब मायाजाल है

रुख़सार पर है जैसे सुबहो सांझ की अरुणाई छाई
लब जो ये सुर्ख़ हैं लगता के ज़र्रे ज़र्रे का कमाल है

रंगत ऐसी है कि ख़ुद गोरा रंग देखे तो चकरा जाये
तिस पर ये छमछम पैंजनियां सोची समझी चाल है

ये हुस्न की रानाइयाँ जैसे कि रुबाइयाँ कह रही हों
महक उसकी है ऐसी के ख़ुद अफ़ीम भी निढ़ाल है

जो देख ले सूरत ऐसी तो ये जग घूमे चक्कर खाएं
दो मिसरे और कहदे पर अब न होश में 'बवाल' है

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18 AUG 2021 AT 22:48

फ़िजूल ही सही कुछ उलजुलूल किया जाये
प्यार जताने को चल नया उसूल किया जाये

खोल तेरी वेणी को फ़िज़ाएँ आबाद करूँ मैं
तू भींच मुठ्ठियाँ, जहां ये मक़्तूल किया जाये

तेरे सीने पर रख कर सर सोना बस चाहूँ मैं
तू चाहे! इसी काम को मक़बूल किया जाये

इस जहां उस जहां सब जहां से परे है जहाँ
वहाँ चलकर इक दूजे को रसूल किया जाये

ख़ूबी ख़ामियों के सिवा जो शरारतें बचाई हैं
दोनों की साँसों को इनमें मशगूल किया जाये

मैं तुम्हें चाहूँ ओ तुम भी मुझे चाहो उम्र भर
चल इस पाक आयत को क़बूल किया जाये

यूँ तो कुछ और कहाँ आता है 'बवाल' को
कुछ और करने को ले नामाकूल किया जाये

प्रेम के इन मिसरों का सब पर कर्ज़ लगाऊं
चल कि सबसे पाई पाई वसूल किया जाये

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2 JUL 2021 AT 22:35

मुश्किल है, मग़र मुश्किलें और बढ़नी चाहिए
ये धड़कनें अब हलक तक आ चढ़नी चाहिए

आँखों ने तेरी जाने कितने ख़्वाब लिखें देखो
ये आँखें हाँ आज हर्फ़ दर हर्फ़ पढ़नी चाहिए

तेरी जबीं से होंठों तक मैं सदियाँ गुजार लूँ
मुक़द्दर को तदबीर कुछ ऐसी गढ़नी चाहिए

कँवल कहूँ या क़मर सा कहूँ तेरे मुखड़े को
देखके तुझे आज हर फुलवारी कुढ़नी चाहिए

मदहोशी का असर तेरी साँसों में इतना है कि
तेरे हिस्से ख़ुशबुओं की चोरी मढ़नी चाहिए

मधुशाला में बैठ जो बात छेड़ेगा तेरी 'बवाल'
बिन पिये हर किसी को आज चढ़नी चाहिए

कुछ लम्हों की दूरियाँ और ये बेताबी दरमियाँ
मुश्किल है, मग़र मुश्किलें और बढ़नी चाहिए

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12 JUN 2021 AT 11:12

embrace my accepted
your every gesture was lovely
I got in that in me..😍
सुहागरात...??
रात वह सुहानी थी
एहसास मनमोहक सा
गालों पर लाली थी
नैनों ने नैनों में
घोली मदिरा की प्याली थी
खामोशी खामोशी सा..
Read my caption

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23 JUN 2021 AT 22:59

जिसकी साँस साँस आहट हो,, तुम वो चाहत हो
जिस छुअन से मचले तन मन तुम वो आफ़त हो

तुम्हारी कमर पे मेरी उंगलियाँ, ज़ुर्रत मुझपे तारी
और तेरी अठखेलियों से हर ज़र्रे की अदावत हो

उमड़ घुमड़ ज्यूँ बादलों से बरखा आज़ाद हुई हो
तेरी ज़ुल्फ़ों से ख़ुशबुओं को अब मिली राहत हो

परवाने मचल जाते हैं उठती लपटें देख शमा की
के तेरी मुस्कान पर इस दिल की भी शहादत हो

आँखों से आँखें बचाके जबीं से होंठों तक आऊँ
आँखें मिली तो समझो के धड़कन की शामत हो

आँखें झुकायें सज़दा करे रूमानियत का 'बवाल'
बस थाम लो, के अब मैं चाहूँ, आज क़यामत हो

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