मैं क्यों रुसवाई से डरु पाप तुमने किया है सरेआम रुसवा तुमको होना होगा मेरी इज्ज़त से खेल कर जानवर होने का सबूत तुम ने समाज को दिया है पर तुम मेरे स्वाभिमान मेरे हौंसलों को तोड़ ना पाओगे जिस्म छलनी किया आत्मा को छू भी ना पाओगे समाज में सर उठा कर मैं हमेशा जीऊँगी और तुम जैसे लोग समाज पे कलंक कहलाओगे ।।
छूट गयी है साथ मेरे परछाई बीते साल की तन्हाई में याद आती है तन्हाई बीते साल की मान मिला सम्मान मिला मुझ को बीते साल में पल पल मुझको मार रही है रुसवाई बीते साल की