QUOTES ON #रुठना

#रुठना quotes

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4 AUG 2017 AT 2:30

वो बस रूठती रूठती रूठती ही रहती है
मैं बस मनाता मनाता मनाता ही रहता हूँ

वो हर चाल पर एक और चाल चल देती है
मैं अनाड़ी खिलाड़ी दिल हारता ही रहता हूँ

- साकेत गर्ग 'सागा'

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25 SEP 2020 AT 21:31

नींद-ख़्वाब सब खो जाता है तेरे रुठ जाने से
फिर सुकून कहाँ मिलता है तेरे रुठ जाने से
दर-बदर फिरते हैं हम चेहरे पे झूठी हँसी लिए
ऐ सनम ! दिल बहुत रोता है तेरे रुठ जाने से

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23 SEP 2018 AT 14:42

तुझे सुनना अच्छा लगता है
तुझे सून के तेरी धुन में खो जाना अच्छा लगता है ,
तुझसे बातें करना अच्छा लगता है
तुझसे बात करके तेरी बातों में खो जाना अच्छा लगता है,

तुझसे मिलना अच्छा लगता है
तुझसे मिल के तेरी आँखों में डूब जाना अच्छा लगता है,
तुझे देखना अच्छा लगता है
तुझे देखकर अपनी धड़कनों का तेज होना अच्छा लगता है ,

तुझे अपने पास में महसूस करना अच्छा लगता है
तुझे महसूस कर के अपनी बाँहों में तकिये को भरना अच्छा लगता है,
तुझे प्यार से चिढ़ाना,सताना पागल कहना अच्छा लगता है
तुझे फिर अपने प्रित की डोरी से बाँधना अच्छा लगता है,

तुझसे रुठ जाना मेरा फिर तेरा प्यार से मनाना अच्छा लगता है
तुझसे रुठकर भी बस तेरे ही बारे में सोचते रहना अच्छा लगता है,
तुझे सबकी नजरों से छुपाकर अपना बनाना अच्छा लगता है
तुझे किसी और के संग ना बाटना बस अपने ही माले में पिरोना अच्छा लगता है ,

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16 JAN 2021 AT 15:27

हंसकर रूठा है चांद इस बार
मान जाने की कोई गुंजाईश नहींll

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24 OCT 2017 AT 0:00

सुनो!
मैं अपनी सारी गलतियों के लिये, तुमसे माफ़ी चाहता हूँ
और तुम्हारी गलतियों के लिये, तुमसे गवाही चाहता हूँ
मैं तुम से नाराज़ हूँ, क्या तुम्हें इतना भी इल्म नहीं है?
गाल खींच कर मुझे गले लगाना, तुम्हारा फ़र्ज़ नहीं है?
क्या हुआ जो मैं तुम से, फ़िर ज़रा सा रूठ गया?
हाल-ए-दिल सुनाया, ज़वाब ना मिला, टूट गया?
क्या तुम्हें मेरी तकलीफ़ का, ज़रा भी अंदाज़ नहीं?
मैं तुमसे-ख़ुदसे क्यों हूँ ख़फ़ा, यह अहसास नहीं?
तुम कुछ भी कहती हो, हर दफ़ा, ज़िद कर सकती हो
पहले क्यों नहीं बताया, कह के गुस्सा भी हो सकती हो
और जो मैं कहूँ की, अब तुम कुछ कहो, तो रूठ जाती हो
हर बार, 'बस समझ जाओ ना तुम' कहकर टाल जाती हो
चलो यह भी मान लिया, हर बार मैं ही 'गुनहगार' होता हूँ
इस बार तुम मेरे लिये, हमारे लिये, गुनाहगार बन जाओ ना
चलो!
बंद करते हैं यह रोज-रोज का रुठना-मनाना
बस इस आख़री दफ़ा तुम मुझे आकर मनाना
सुनो!
अब ज़िद छोड़ो तुम्हारी, हार जाओ ना
मैं जो 'ज़िद्दी' हुआ हूँ, मुझे जिताओ ना
फ़िर से एक बार वही गाना गुनगुनाओ ना
भाग कर आओ और मुझे गले लगाओ ना
- साकेत गर्ग 'सागा'

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18 MAR 2019 AT 8:06

मैंने बुराई अपनाया ही उसके रूठ जाने के लिए
वरना मैं फरिश्तों से भी अच्छा हूँ ज़माने के लिए

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29 MAR 2019 AT 11:20

पलकें बिछाए बैठे हैं हम,
देखते हैं कैसे रूठे हैं सनम!!

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13 NOV 2018 AT 8:07

सुनो ना...

जानता हूंँ, मुझे मनाने वाला कोई नहीं..
इसलिए रूठता ही नहीं !!

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26 JUL 2017 AT 7:02

तुम जब भी मुझसे रूठ जाती हो,
मैं डायरी में तुम्हें मना लेता हूं..

एक दफ़ा पन्ने पलट कर देखना,
तुम्हें आईने की जरूरत नहीं पड़ेगी..

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6 JAN 2020 AT 14:01

अपना मुंह फुलाना‌।
यूं छोटी छोटी बातों पर तेरा रुठ जाना
और हर बार मेरा तुझे फूल देकर मनाना।

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