तेरे आंसुओं ने पथ रोक लिया,
मैं मौन रहा स्तब्ध खड़ा,
पग निकले थे इस द्वार से बस,
तेरे आंचल ने मुझे फिर थाम लिया,
मैं मौन रहा स्तब्ध खड़ा,
मन की कुछ बात मैं कह ना सका बस,
तेरे आलिंगन का उन्माद रहा,
मैं मौन रहा स्तब्ध खड़ा,
हृदय की हर धड़कन में इक बस,
तेरे मधुर मिलन का राग बजा,
मैं मौन रहा स्तब्ध खड़ा,
उगते सूरज की इन किरणों में बस,
तेरे कुमकुम का सा भान रहा,
मैं मौन रहा स्तब्ध खड़ा,
इन आंखों में तेरे अश्रु लिए बस,
फिर जा ना सका,फिर जा ना सका,
मैं मौन रहा स्तब्ध खड़ा...
तेरे अधरों ने चुपचाप कही, एक व्यथित वेदना मन की जो थी,
मेरे हृदय ने पहली बार सुनी, जब निकल पड़ा परदेस को मैं...
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