"आँसू "
कभी खुशी की फुहार बन आँखों से छलकते हैं,
तो कभी गम को अपने में समाहित कर मचलते हैं .....
कभी बेबसी और लाचारी बन
आँखों में समा जाते हैं आँसू ,
तो कभी राहतों की सौगात स्वरूप
रिमझिम से टपकते हैं .....
कभी पिता की फटकार में,माँ के दुलार में
नैनों को गले लगाते हैं आँसू ,
तो कभी गैरों के दर्द में भी
मोम बन पिघलते हैं .....
कभी देशभक्ति के नाम पर
पलके भिगो देते हैं आँसू ,
तो कभी शहीदों की शहादत पर
अभिमान बन बरसते हैं .....
शेष अनुशीर्षक में पढ़ें ....निशि 💖
-