जब नटखट सा ग्वाला था
तो मेरा कृष्ण गोपाल कहेलाता था
जब वो माखन चुराता था
तब मेरा कृष्ण माखन चोर कहेलाता था
जब वो मधुर सी मुरली बजाता था
तब मेरा कृष्ण मुरलीधर कहेलाता था
जब वो सबके मन को हर लेता था
तब मेरा कृष्ण मनोहर कहेलाता था
जब वो राधा के संग रास रचाता था
तब मेरा कृष्ण राधारमण कहेलाता था
जब वो रुक्मिणी के संग द्वारका में बसता था
तब मेरा कृष्ण द्वारकाधीश कहेलाता था
जब वो द्रोपदी का साथ निभाने आता था
तब मेरा कृष्ण गोविंद कहेलाता था
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