कुछ राज दबे हैं, मगर कह नहीं सकते
और दर्द इतना है, कि सह नहीं सकते
खुश रहना हैं सबके साथ, रखना है खुश सबको
आंसू आंखों में बहुत हैं, मगर बह नहीं सकते
तूफान आया है मोहल्ले में, हमारे भी रफ्तार से
हम दरख़्त के सहारे है, इसलिए ढह नहीं सकते
धर्म की सख्त तहरीरों से, टूट जाती हैं कितनी ही मोहब्बतें
क्योंकि हीर-रांझे दुनिया के आगे, कुछ कह नहीं सकते
आखिर क़यूँ नहीं समझती, ये जालिम दुनिया
कि हम उनके बगैर, अब रह नहीं सकते
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