छोटी सी जिंदगी को किश्तों में बाँट लेती हूँ,
औरत हूँ तकलीफ़ भी हँसकर काट लेती हूँ,
महक उठती हूँ अक्सर मोंगरे के गजरे सी
गुजरती हवा की खुशबू समेट साथ लेती हूँ,
किलकारियों में ढूंढ लेती हूँ सुकून अपना
बच्चों की मासूमियत में गुज़ार रात लेती हूँ,
चूड़ियों की खनक, पायल सी छनकती हूँ मैं
आँखों के काजल तले छुपा बरसात लेती हूँ,
कुछ ख्वाब बिखरे मिलते हैं हर रोज़ रसोई में
मिलती-जुलती ख़ुशी तरतीब से छाँट लेती हूँ !
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