QUOTES ON #रदीफ़

#रदीफ़ quotes

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18 MAR 2020 AT 18:23

इश्क-ए-नज्म में अपने मैं ताशीर-ए-रदीफ़ सा रहा,
फ़ितरत-ए-काफ़िया सी वो हर साज पर बदलती रही।।

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30 AUG 2020 AT 21:52

बह्र/मीटर- 2 1 2 2 1 2 2 1 2 2 1 2

यूँ मिरे हाल पर तुम हँसोगे भला?
एक दिन तोह तुम भी मरोगे भला।
गर मैं लिखदूँ गज़ल तेरे जिस्मो निशां,
फिर मिरे शेर पर दाद दोंगे भला?
पूछती है गली गाँव की ये बता,
वोट के बाद तुम क्या दिखोगे भला?
ये सियासी फ़साने हमें ना पता,
गम हमारा बताओ पियोगे भला?
इश्क़ में कुछ नहीं इल्तिजा यार बस,
दो कदम साथ मेरे चलोगे भला?
सारि दुनिया मुझे इश्क़ करने लगी,
तुम मिरे राज़ किस्से कहोगें भला?
शाम होते शुरू फिर वहीं सिलसिला,
हाथ चूल्हें पर जलने लगेंगे भला।

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9 JUN 2017 AT 7:57

मेरे शहर में सहर नहीं होता
यहाँ उजाले का ज़हर नहीं होता
सन्नाटे सुनाया करते ऐसी गजलें
काफ़िया, रदीफ़ या बहर नहीं होता

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6 JUL 2017 AT 13:56

ग़ज़ल भी हैरां परेशां है मेरे इस वाक़िये से
निक़ाह जो पढ़ा दिया रदीफ़ का काफिये से।।

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6 JUL 2017 AT 19:18

लिख बैठा तुम पर ग़ज़ल अब दुआ क़बूल हो
काफ़िया जानू ना जानू रदीफ़ दुआ क़बूल हो

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8 MAY 2020 AT 17:36

ग़ज़ल सृजन काफ़िया -ईत रदीफ़ - है वो


थकान को मेरी जो आराम दे , तू संगीत है वो,
चाहा था शिद्दत से जिसे, तू मनमीत है वो।

उसे देखने को तरसे, बिन सावन अश्रु बरसे,
दिल में बसी मेरे बरसों से, मेरी प्रीत है वो।

बसंत की बहार , तू होली के रंगों की बौछार
मई जून की गर्मी में , लगे शीत है वो।

फूलों की महक़ , उसकी हंसी की चहक,
भुला नहीं कभी जिसको , मेरा अतीत है वो।

'शाश्वत' हो चला हूँ , प्रेम में यूँ,
जैसे लफ्ज़ मेरे , तो गीत है वो।

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2 DEC 2019 AT 19:09

ग़ज़ल के शहर में वो घर ढूंढते हैं
मुसलसल वो शामों सहर ढूंढते हैं

रदीफों के मेले में नज़्में भुला कर
बड़ी मुख़्तसर वो बहर ढूंढते हैं

मुहब्बत भी कर डाली आंसू भी पीये
ग़ज़लगोई का अब हुनर ढूंढते हैं

कई काफ़ियों से सजा डाले मिसरे
वो गालिब सा बस अब असर ढूंढते है

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9 SEP 2021 AT 7:29

मेरी मोहब्बत में यूं दूरियां रही
मैं रदीफ रहा वो क़ाफिया रही

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22 JUN 2021 AT 11:36

212 1222 212 1222
काफ़िए मिले हमको अब रदीफ़ ढूंढेंगे
फिर ग़ज़ल में कमियों को कुछ हरीफ़ ढूंढेंगे।1

जानते हैं मुश्किल से वो हमें मिलेंगे अब
और ज़िद हमें भी है हम शरीफ़ ढूंढेंगे।2

कारोबार-ए-दुनिया से, है भरा ये दिल अपना
फिर किसी नई शय में, हम लतीफ़ ढूंढेंगे।3

बा-वफ़ाई उनको मेरी समझ नहीं आई
दिल्लगी की ख़ातिर वो अब ज़रीफ़ ढूंढेंगे।4

हर ग़ज़ल "रिया" अपनी गर यहाँ सुनाएगी
आप किस ग़ज़ल को सबसे मुनीफ़ ढूंढेंगे।5

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29 JUN 2019 AT 15:25

आजकल मेरी शायरी को न वो पढ़ती
और न ही तारीफ़ करती है

शायद अब मेरे शेर में जादू न तो काफ़िया
और न ही रदीफ़ करती है

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