तारों की रुम झुम पर कोई तो है जो जागते रहो जागते रहो का शोर मचाए ठक ठक की आवाज़ पर एक अकेला वो ही फिरता सारी दुनिया की रखवाली करता गाना यही गाया करता रात की धुन पर तारों की रुम झुम पर जागते रहो जागते रहो
भारत के वीर सपूत हैं करते सीमा पर रखवाली, तभी तो है महफूज़ यहांँ वो शाम चिराग़ों वाली। जला चिराग़ इक नाम का उनके मनाएं हम दिवाली, मातृभूमि की रक्षा हेतु जिन्होंने जान गंवा दी।
मेरी शर्ट की जेब से निकले कुछ सिक्के... जो रख देती हो तुम अक्सर चीनी के उस मर्तबान में, जिसे बहुत संभालकर लाई थी तुम अपने घर से हमारे घर तक। जानती हो आज-कल उसी खजाने की रखवाली करते हुए... दिन काट रहा हूं इस लॉक डाउन में!