छिटका हुआ नीलांबर मे
"सप्तरंगो" में विलीन इंद्रधनुष.....!
तुम्हारे साथ कि कुछ अनुभूतियों को
प्रकट करता है।
वस्तुतः यही हमारे प्रेम को
पूर्ण रूप से सारगर्भित करता है।
चांद की शिथिलता ही
उसके शीतल होने को प्रदर्शित करती है।
सार्थक हो जाता है!मेरा श्रृंगार करना ,
जब तुम अपने अडिग नेत्रों से
निहार कर मेरी श्लाघा करते हो?
आगमन तुम्हारा,मेरे जीवन की
सूनी परिपाटी पर
"कैक्टस" को "कल्पवृक्ष"
के साम्य बना देता है।
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