दिल कभी सहरा कभी बरसात हुआ करता है,
वो आए तो रौशन वरना घनेरी रात हुआ करता है,
ना पूछ मुझसे दिले जज्बात उमड़ने का सबब,
यूँ ही कभी-कभी दीवाना ये बेबात हुआ करता है !
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कुछ पा के.. कुछ खो के गुज़र गई
"ज़िन्दगी" क़भी हँस के.. क़भी रो के गुज़र गई,
कुछ यूँ चली ख़्वाबों-ख़्वाईशों की जुगलबंदी
के रात क़भी.. जाग के.. क़भी सो के गुज़र गई,
किसी भी शै को वक़्त ने नहीं बख्शा
कोशिशें लाख उम्र को रोकते-रोकते गुज़र गई,
उसके हाथों की मेहेंदी अब बालों में सजती है
उफ़्फ़.. मुहब्बत कहाँ से चली थी..
..और कहाँ से हो के गुज़र गई,
हाहा.. हा.. कमबख़्त जो था नहीं ज़िन्दगी में
उसे सारी "ज़िन्दगी", सोचते-सोचते गुज़र गई..!-
"प्रेम में पड़ा मिडिल क्लास
का वो लड़का जिस पर घर की
जिम्मेदारी हावी है,
अक्सर अपने प्यार को मन में
ही मार लेता है..
फ़िर जन्म लेता है एक तनाव,
एक खीझ, एक अकेलापन..
वो इन सबके बीच रिश्तों की
जंग तो जीत जाता है, मग़र
ज़िन्दगी की जंग हार जाता है........"-
भूल जा...
यह प्रेम सबकुछ तहस-नहस करता है
दिल... तू क्यूँ.. बेफजूल बहस करता है,
कम से कम इतना तो कुछ रिश्ता है
बो.. मुझसे नफ़रत ही तो महज़ करता है!-
जादू देखा है मैंने
तुम्हारी आंखों में,
दुनियां हसीन इतनी तो नहीं जैसे तुम्हारी साथ होती है
नरम.. मुलायम हर शय,
क्यूँ होता है ऐसे..
के तुम्हें छूकर जो चीज़ गुज़रे वो अमर सी हो जाती है
तुम्हारा लिबास तुम्हारे माथे की बिंदी- चूड़ियाँ
यह हवा-पानी औऱ मैं.. मैं भी;
तुमने तो कहीं का नहीं छोड़ा मुझे
पागल शायद मुहब्बत में लोग यूँ ही नहीं होते,
हा. हा हा....,
जादू देखा है मैंने
तुम्हारी सांसों में..!-
मुझे नहीं लगता हैं कुछ भी बदलाव हुआ है
मेरे थमीं हुई जिंदगी में जहां से शुरुआत कि थी
वहीं आकर रुक जाती हैं ये जिंदगी कितना भी
कोशिश कर लूं कुछ नहीं बदलता...............
ख़ैर छोड़ो बदला हैं तो बस एक चीज़ वो है,
ये आंसू...........
पहले ये आंसू बेवजह बिना बात के कभी
भी कहीं भी निकल जाते ते थें, लेकिन अब
अगर कोई तकलीफ़ भी होती वज़ह भी
होती हैं, तो भी नहीं निकलते आंखों में ही
कहीं सिमट से जाते हैं, शायद कुछ ठोकरों
ने कठोर बना दिया हैं मुझे !-
💘जिन्ह रास्तो पर कभी 💥मुलाकात हुआ करती थी उनसे💥
जब उन रास्तो को वो 💔भुल गयी तो फिर मैं क्या हूँ।।😔-
यूं ही उठाया हाथों में,
यूं ही फिर छोड़ दिया...
यूं ही खेल खेल में उसने,
अनजाने दिल तोड़ दिया...
©drVats-
सर्द हुआ हवाओं का रुख,
दिसंबर में हुयी बारिश मेरे यार,
इंसान तो इंसान से बचा नही,
लगता है मौसम के साथ भी,
कुछ धोखा हुआ है मेरे यार!-
"सबकुछ ही आसान मत समझो,
हमको कोई मेहमान मत समझो,
मेरी ये ख़ामोशी तुमसे है 'जाना'
मेरी ख़ामोशी को ज़ुबान मत समझो......."-