विनाश कर रहा मानव,
मानवता के धैर्य को,
चल रहा है पथ,
ले इंतकाम का शपथ,
युद्ध के संग खड़े,
जी रहा हर पल को,
कर रहा अविष्कार युद्ध को,.....
नाश को पुकारता,
लहु मांगती लहु,
काट रहा धर को,
कर रहा अविष्कार युद्ध को,......
बेरोजगारी की दहलीज़ पे,
भूख ले रही जन्म,
मर रहा इंसान,
मार के खुद की भूख को,
कर रहा अविष्कार युद्ध को,......
इंसान ही इंसान को मारता,
तरस रहा रोटी,कपड़ा और मकान को,
बढ़ा रहा मन की महत्वकांक्षा,
चुस रहा लहु,खा रहा इंसान को,
कर रहा अविष्कार युद्ध को,
हाँ कर रहा अविष्कार युद्ध को,.....
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