प्यार दोस्तो के बिना जितना भी मिले थोड़ा है
बेशक नामिले पर उनके होने से सीना चौड़ा है
मैं, गुरुर करूँ या फक्र करूँ अपने दोस्तों पर
सबने मेरे लिए कई बार अपना काम छोड़ा है
पर ना जाने क्यूँ फितरत रूठ सी गयी हैं मेरी
जब से इस जिंदगी ने दोस्ती से नाता तोड़ा है
वो अब याद नहीं करते सब काम पर जाते है
मैंने याद किया है उनको कई बार झिंझोड़ा है
अब उनकी कर्मकारी है सर पर जिम्मेदारी है
किस्मत ने सबको अलग कोष्ठक में जोड़ा हैं
कपिल कुछ लोग बड़े याद आते हैं, पता नहीं
वक़्त की गर्दिश है या रुख जिंदगी ने मोड़ा है
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