QUOTES ON #यादोंकाजंगल

#यादोंकाजंगल quotes

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27 AUG 2021 AT 20:05

यादों की सूखी बगिया अश्को से सींच रहा हूं मैं
कटी डोर से पतंग लापता मांझा खीच रहा हूं मैं

ज़िद तो थी तैर के दरिया पार लगाने की ,पर
अभी तज़ुर्बा कम है डर के चीख रहा हूं मैं

अपने मतलब से पहचानूं बे मतलब तारीफ करुं
ये हुनर हमें आता ही नहीं कब से सीख रहा हूं मैं

पहचान गया हूं अब मैं अपनों को खुदगरजों को
इक चेहरे के कयी रंग हैं जिनके बीच रहा हूं मैं

जद्दोजहद से मेरी उनका क्या लेना देना आख़िर
फिर भी पूछ रहा है तो कह दो जीत रहा हूं मैं

कैसे दूं बद्दुआ उन्हें मैं रहनें दो उन्हें रकीबो में
जो आज हुये हैं बेगाने उनका मन मीत रहा हूं मैं

-Sohit pandit

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20 SEP 2019 AT 12:10

पुरानी किताब के पन्नों में दबा
वो मुरझाया सा फूल मिला
कुछ यादें ताज़ा हो गई, और आंखें नम

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21 APR 2020 AT 23:42

जगह ही नहीं है अब तेरे लिए दिल में,
कब्जा तेरी यादों ने कुछ ज्यादा ही कर लिया है।

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18 JUN 2018 AT 0:47

खोजने निकली थी तेरी परछाई।
जाने अनजाने कई चेहरे दिखे,पर दिखा न तू कहीं।
घबराई सी थी मेरी रूह अब,कैसे तुझे यादों में खो दिया मैंने।
सोचती थी मैं , हूँ ठहरी उसी पल में
पर देखो ना कहाँ आ गयी हूँ मैं।
पलट के देखती हूँ ,तुझे खोजती हूँ,अपने दिल की गहराइयों में
कुछ यादों के फूल तेरे अब खिलें हैं,जो मद्धिम मद्धिम खुशबू से,मुझे मुस्कुराने पर मजबूर कर जाते हैं।


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17 JUN 2018 AT 22:06

हू में कही
सब कुछ दिखता है यहा
पर तु दिखता भी नहीं l

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18 JUN 2018 AT 14:30

अक्सर वो खो जाती थी,
यादों के जंगल मे गुम,
और मंद मंद मुसकाती थी,
सोच कर सुनहरे स्वप्न।

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18 JUN 2018 AT 21:16

ख़ुशनुमा यादें... बचपन की!
खुशियां... मानो थी झोली में भरी...
वो खेल, खिलौने, गुड्डे-गुड़िया...
वो दिन भर मस्ती... मुंडेर पे बैठी चिड़िया...
हंसना-गाना, उधम मचाना... घर भर शोर मचाना...

आज भी याद दिलाते हैं... कितना बदल गया वक़्त...
जीवन की सच्चाई से रूबरू होते-होते, हो गया सख्त...
इतना सख्त... की अब कुछ भी महसूस नहीं होता...
वो मुंडेर पे चिड़िया अब भी बैठी है...
दिल में बचपन अब भी है, निश्छल-अनछुआ सा...
तैयार... तोड़ने को सारे बंधन...
जीने को आतुर... वही प्यारा बचपन!

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17 JUN 2018 AT 21:27

सच ये है बेकार हमें ग़म होता है
जो चाहा था दुनिया में कम होता है

ढलता सूरज फैला जंगल रस्ता गुम
हमसे पूछो कैसा आलम होता है

ग़ैरों को कब फ़ुरसत है दुख देने की
जब होता है कोई हमदम होता है

ज़ख़्म तो हमने इन आँखों से देखे हैं
लोगों से सुनते हैं मरहम होता है

ज़हन की शाख़ों पर अशआर आ जाते हैं
जब तेरी यादों का मौसम होता है

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18 JUN 2018 AT 17:07

यादे, तुम और हम

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17 JUN 2018 AT 21:26

एक याद है
जिसे कभी
जिया नहीं मैंने
न जाने वह
याद कैसे बनी

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